स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
रांची। झारखंड विधानसभा में कैग (CAG) रिपोर्ट पेश की गई। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने इसे सदन पटल पर रखा।
रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सोसाइटी (JRHMS) को कोविड प्रबंधन के लिए 436.97 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन 2019-20 से 2021-22 के बीच सिर्फ 137.65 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके। यानी कुल राशि का मात्र 32% ही खर्च किया गया।
भारत सरकार से मिले थे इतने रुपयेः
भारत सरकार ने कुल 483.54 करोड़ रुपये जारी किए थे। राज्य सरकार को 272.88 करोड़ रुपये देने थे, जिससे कुल 756.42 करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ।
लेकिन, झारखंड सरकार ने केंद्र की 291.87 करोड़ और राज्य की 145.10 करोड़ राशि जारी की, जिससे कुल 436.97 करोड़ रुपये का ही उपयोग हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि अगस्त 2022 तक राज्य सरकार ने केंद्र का 191.67 करोड़ रुपये जारी ही नहीं किया।
आपदा प्रबंधन फंड का भी नहीं हुआ पूरा इस्तेमालः
गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने मार्च 2020 से दिसंबर 2021 के बीच 754.61 करोड़ रुपये जारी किए थे। लेकिन फरवरी 2022 तक सिर्फ 539.56 करोड़ रुपये का ही उपयोग हुआ।
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि फंड का सही इस्तेमाल नहीं होने से कोविड-19 प्रबंधन प्रभावित हुआ। कई महत्वपूर्ण सुविधाएं समय पर नहीं बन सकीं, जैसे- जिला स्तर पर आरटी-पीसीआर लैब नहीं बनी।
रांची में शिशु चिकित्सा उत्कृष्टता केंद्र स्थापित नहीं हो सका। सीएचसी, पीएचसी और एचएससी में पूर्वनिर्मित संरचनाओं का निर्माण अधूरा रहा। तरल चिकित्सा ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना नहीं हो पाई।
जिलों में नहीं बनें कोविड टेस्ट लैबः
जिला स्तर पर कोविड सैंपल जांच के लिए प्रयोगशालाएं नहीं होने के कारण, सैंपल दूसरे जिलों में भेजने पड़े, जिससे रिपोर्ट आने में 5 दिन से लेकर 2 महीने तक की देरी हुई।
रिपोर्ट में कहा गया कि झारखंड में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं कमजोर हैं। डॉक्टर, स्टाफ नर्स और पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी है, जिससे महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई।
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