Ramdas Soren Son:
रांची। दिवंगत शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के बड़े पुत्र सोमेश सोरेन को मंत्री पद मिल सकता है। जानकारों का कहना है कि दो मंत्रियों के निधन के बाद झामुमो ने जो फॉर्मूला अपनाया था, उसे फिर से लागू किया जा सकता है। अक्टूबर 2022 में मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके बेटे हफीजुल हसन को मंत्री बनाया था। फिर अप्रैल 2023 में मंत्री जगन्नाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री बनाया गया। दोनों मंत्री बनने के बाद चुनाव लड़े और जीत गए। रामदास के निधन से खाली हुई सीट पर यही फॉर्मूला लागू हो सकता है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पत्नी विधायक कल्पना सोरेन के साथ बुधवार को रामदास सोरेन के घोड़ाबांधा स्थित आवास पर पहुंचे। रामदास सोरेन को श्रद्धांजलि दी। उनकी पत्नी, बेटे और अन्य परिजनों को सांत्वना दी। करीब एक घंटे तक उन्होंने परिजनों से बात की। मुलाकात के दौरान किसी को भी वहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी। बातचीत के दौरान सोमेश सोरेन को मंत्री बनाने और घाटशिला उपचुनाव में उन्हें झामुमो टिकट पर चुनाव लड़ाने को लेकर भी गंभीर चर्चा हुई।
रामदास दा ने संघर्ष से बनाई थी पहचान : हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत व कल्पना दोपहर 2:15 बजे घोड़ाबांधा पहुंचे। उन्हें देखते ही रामदास की पत्नी सूरजमनी सोरेन रो पड़ीं। कल्पना ने उन्हें ढांढ़स बंधाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के एक पखवाड़े के अंदर ही रामदास दा का यूं चले जाना मेरे लिए असहनीय है। यह मेरे व्यक्तिगत जीवन और पूरे झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। रामदास दा ने शिबू सोरेन के नेतृत्व में लंबे समय तक झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उनका जीवन बेहद सरल, सहज और जनसरोकारों से जुड़ा हुआ था। रामदास दा के निधन से जो शून्यता आई है, उसकी भरपाई नहीं हो सकती है।
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