Railways:
रांची। रेलवे की लापरवाही से परेशान रांची निवासी कर्नल कुमार आनंद को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार न्याय मिला है। पटना जिला उपभोक्ता आयोग ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए रेलवे को 60 हजार रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया है। यह मामला वर्ष 2014 से जुड़ा है। कर्नल आनंद, जो उस समय पंजाब में पदस्थापित थे, ने 8 दिसंबर 2014 को रेलवे वारंट के आधार पर नई दिल्ली से पटना तक एसी फर्स्ट क्लास का टिकट बुक कराया था। लेकिन, रेलवे ने बिना पूर्व सूचना दिए उनका टिकट एसी सेकेंड क्लास में डाउनग्रेड कर दिया। इस बदलाव की जानकारी उन्हें तब मिली, जब वे यात्रा के लिए स्टेशन पहुंचे। इसके बाद उन्होंने किराये की अंतर-राशि की वापसी के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन रेलवे अधिकारियों ने एक-दूसरे पर मामला टालते हुए कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
आयोग ने लापरवाही को बताया उपभोक्ता सेवा में कमीः
थक-हारकर कर्नल आनंद ने 4 जुलाई 2019 को पटना जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने उत्तर रेलवे, पूर्व-मध्य रेलवे और रेलवे बोर्ड के पांच अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया। सुनवाई के दौरान सभी पक्ष आयोग के समक्ष उपस्थित हुए।
रेलवे की दलील ठुकरा दी आयोग नेः
29 मई 2024 को उत्तर रेलवे ने अंतर-राशि लौटाने का आश्वासन तो दिया, लेकिन आयोग ने माना कि यह मामला पहले ही 2019 में दर्ज हो चुका था और इतने वर्षों तक टालमटोल करना उपभोक्ता सेवा की घोर लापरवाही को दर्शाता है। आयोग के अध्यक्ष प्रेमरंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने अपने फैसले में कहा कि रेलवे की इस लापरवाही के कारण कर्नल आनंद को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न झेलना पड़ा, साथ ही उन्हें कानूनी खर्च भी उठाने पड़े।
12% ब्याज समेत मुआवजाः
आयोग ने आदेश दिया कि रेलवे टिकट की अंतर-राशि 12% वार्षिक ब्याज के साथ वापस करे। साथ ही मानसिक और शारीरिक पीड़ा के लिए 50,000 रुपये तथा कानूनी व्यय के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा दिया जाए। यदि यह राशि 45 दिनों के भीतर नहीं दी जाती है, तो रेलवे को अतिरिक्त 10,000 रुपये निष्पादन लागत के रूप में भी चुकाने होंगे। यह फैसला न केवल उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा का उदाहरण है, बल्कि सरकारी सेवाओं की जवाबदेही तय करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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