Rahul Gandhi:
पटना, एजेंसियां। राहुल गांधी की “वोट अधिकार यात्रा” मंगलवार को सुपौल पहुंची, जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी शामिल हुए। लेकिन रेवंत रेड्डी के इस यात्रा में शामिल होते ही कांग्रेस नेताओं को विपक्ष के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। प्रशांत किशोर, जो जन सुराज के संस्थापक हैं, ने सीधे तौर पर आलोचना करते हुए कहा कि बिहार के लोग रेवंत रेड्डी को लाठी-डंडों से दौड़ा देंगे, क्योंकि उन्होंने पहले बिहार को गाली दी थी और यह भी कहा था कि “मजदूरी करना बिहारियों के DNA में है”।
बीजेपी ने रेवंत और राहुल गांधी पर साधा निशाना
बीजेपी ने भी इस मौके पर रेवंत और राहुल गांधी पर निशाना साधा। रविशंकर प्रसाद ने रेड्डी के “DNA” वाले बयान पर माफी की मांग की और बिहार के डीएनए में महात्मा गांधी और सम्राट अशोक जैसी महान हस्तियों का नाम लिया। उनका कहना था कि रेवंत रेड्डी को बिहार की राजनीतिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए।
कांग्रेस के लिए रेवंत रेड्डी की भूमिका पर सवाल
हालांकि, कांग्रेस के लिए रेवंत रेड्डी की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वह एक साउथ के नेता हैं और बिहार में उनके विवादित बयान के बावजूद कांग्रेस ने उन्हें “वोट अधिकार यात्रा” में क्यों बुलाया? जानकारों का मानना है कि कांग्रेस बिहार के मतदाताओं को तेलंगाना सरकार के 42% आरक्षण के मॉडल के माध्यम से एक राजनीतिक संदेश देना चाहती है। इसके साथ ही, राहुल गांधी को देश में जाति जनगणना के चैंपियन के रूप में देखा जा रहा है, जो तेलंगाना मॉडल को बिहार में लागू कर सकते हैं।
रेवंत रेड्डी ने बिहार के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर भी बातचीत की, और राहुल गांधी द्वारा शुरू की गई यात्रा में इसे प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया। उनके इस कदम से यह साफ है कि कांग्रेस बिहार में आगामी चुनावों में अपने राजनीतिक एजेंडे को और मजबूत करना चाहती है।
इसे भी पढ़ें