नयी दिल्ली, एजेंसियां : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर देश भर में उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को खारिज करने में निर्वाचन अधिकारियों (आरओ) द्वारा विवेकाधिकार के ‘मनमाने और दुर्भावनापूर्ण’ प्रयोग पर रोक लगाने के लिए निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 36 में चुनाव के दौरान निर्वाचन अधिकारी (ṇ आरओ) द्वारा नामांकन पत्रों की जांच किये जाने का प्रावधान है और इस अधिनियम की उपधारा चार में कहा गया है कि आरओ किसी नामांकन पत्र को किसी ऐसी त्रुटि के आधार पर खारिज नहीं करेगा जो गंभीर प्रकृति का नहीं हो।
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