रांची। पपीता एक स्वास्थ्यवर्द्धक सस्ता एवं घरेलू फल है। पपीते का नाम आते ही कच्ची डकारें रुक जाती हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में भी पपीते का अधिक महत्त्व है।
पपीते में पाचन शक्ति का औषधीय गुण पूर्ण रूपेण विद्यमान है। पपीते में वह अद्वितीय शक्ति है, जो अल्सर जैसी घातक बीमारी को भी अपनी अचूक शक्ति से रोक पाने में समर्थ है।
यह बताने की आवश्यकता नहीं कि हमारे देश में पपीता हर जगह मिलता है। इसका कई तरह से प्रयोग किया जाता है, यथा कच्चा पपीता, अधपका पपीता तथा पूरा पका पपीता।
यह तीनों अवस्थाओं में स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। इसका गूदा तो उपयोग में लाया ही जाता है, इसके दूध व इसके छिलके का भी चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत महत्त्व है।
बहुत ही गुणकारी है पपीता
• भूख न लगे, कब्जियत हो जाये या पेट से सम्बन्धित कोई अन्य रोग हो उसमें पपीता कच्चा या पक्का ; दोनों रूपों में फायदेमंद है। पपीते के गूदे से छोटी आंत के ऊपरी भाग की गिल्टियां व पेट के भयंकर दर्द आदि भी दूर हो तो जाते हैं। कच्चे पपीते की सब्जी व रायता खाने से कृमि रोग दूर होता है।
• कच्चे पपीते का गूदा कपड़े पर लगे दाग को झटपट दूर करने में पूर्ण सक्षम है।
• इसी तरह कच्चे पपीते का दूध यापी पपेन के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं कि पपेन हमारे जीवन में कितना उपयोगी और मूल्यवान है। कच्चे पपीते के दूध (पपेन) से पाचन क्रिया अधिक मजबूत होती है। पपेन से पाचन की सबसे अच्छी और कारगर दवा (पेप्सिन) तैयार की जाती है।
पेप्सिन आमाशय से निकलने वाला एक प्रकार का रस है; यानी ‘जैविक एंजाइम’ है, जो प्रोटीन को पचा कर उसे शरीर के लिए एक नया रूप देता है। पपेन भी अपने प्रभाव में पेप्सिन से किसी मामले में कम नहीं उतरता। पपेन के कारण ही पपीते में औषधीय गुण विद्यमान होता है।
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