मुंबई, एजेंसियां। ‘पंचायत’ का चौथा सीजन आखिरकार रिलीज हो चुका है, लेकिन इस बार दर्शकों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा नहीं उतरता। पहले तीन सीजन की सादगी, हास्य और गहराई की झलक तो है, लेकिन इस बार राइटिंग लड़खड़ा गई है।
Panchayat Season 4: क्या है कहानी?
सीजन 4 की शुरुआत होती है सचिव जी और बनराकस पर लगे केस से। सचिव जी को अपने करियर की चिंता है, वहीं बनराकस चुनाव लड़ने को लेकर परेशान। प्रधान जी पर गोली चलाने वाले का भी खुलासा होना है। साथ ही फुलेरा में चुनाव की गहमागहमी भी इस बार की कहानी का मुख्य हिस्सा है। प्रधान जी और भूषण के बीच सीधी टक्कर है, और राजनीति किस हद तक जा सकती है, इसे दिखाने की कोशिश की गई है।
Panchayat Season 4: कमजोर कड़ी: राइटिंग
इस सीजन की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी स्क्रिप्ट है।पहले जहां हर एपिसोड में एक इमोशनल पंच या मजेदार ट्विस्ट होता था, इस बार कहानी धीमी गति से चलती है और दर्शक कनेक्ट नहीं कर पाते। राइटिंग इतनी असरदार नहीं है कि कोई सीन लंबे समय तक याद रहे।
Panchayat Season 4: एक्टिंग बनी शो की जान
जीतेंद्र कुमार (सचिव जी) ने फिर से बेहतरीन काम किया है। नीना गुप्ता, रघुबीर या
दव, फैजल मलिक और अशोक पाठक ने अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी. सान्विका (रिंकी) को इस बार ज्यादा स्क्रीन टाइम मिला और उन्होंने भी अच्छी परफॉर्मेंस दी।
Panchayat Season 4: एक्टिंग बनी शो की जान
जीतेंद्र कुमार (सचिव जी) ने फिर से बेहतरीन काम किया है। नीना गुप्ता, रघुबीर या
दव, फैजल मलिक और अशोक पाठक ने अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी. सान्विका (रिंकी) को इस बार ज्यादा स्क्रीन टाइम मिला और उन्होंने भी अच्छी परफॉर्मेंस दी।
Panchayat Season 4: डायरेक्शन
अक्षत विजयवर्गीय और दीपक कुमार मिश्रा का डायरेक्शन अच्छा है, लेकिन कहानी की पकड़ नहीं बन पाती। सीजन को अगले भाग के लिए एक सेटअप की तरह देखा जा सकता है। कुल मिलाकर ‘पंचायत 4’ को देखा तो जा सकता है, लेकिन ये वो सीजन नहीं है जो बार-बार देखा जाए।
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