Wednesday, June 25, 2025

Pahalgam Attack: भारत की कूटनीति में फंस कर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान [Pakistan got isolated after getting trapped in India’s diplomacy]

Pahalgam Attack:

पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। ये आतंकवादी पाकिस्तान से ट्रेंड होकर आये थे। अब भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान में पांच तथा पीओके में चार आतंकी ठिकाने तबाह कर दिये हैं। इसके बाद से ही दोनों देश युद्ध की कगार पर खड़े हैं।

हालांकि 22 अप्रैल से 6 मई के बीच भारत ने कई कुटनीतिक कदम उठाये, जिसके कारण पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। भारत ने सबसे पहले तो सिंधू नदीं जल समझौता सस्पेंड कर पाकिस्तान की कमर तोड़ी, क्योंकि पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती भारत से होकर जानेवाली नदियों पर ही आधारित है। इसके बाद अटारी बॉर्डर को बंद किया और फिर सारे पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिये।

Pahalgam Attack:

इतना ही नहीं, पहलाम के आतंकी हमले को भारत में इतनी मजबूती और प्रमुखता से विश्व पटल पर रखा कि कोई भी देश पाकिस्तान के समर्थन में एक शब्द नहीं बोल सका। वैसे भी आतंकवाद का समर्थन तो सार्वजनिक तौर पर कोई देश कर भी नहीं सकता। यह मुद्दा इतना संवेदनशील था कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, यूएई समेत तमाम देशों ने भारत का समर्थन किया। इसके बाद ही भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह करने की रणनीति बनाई।

बावजूद इसके पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा और न ही उसकी बयानबाजी थम रही है। अब हम आपको बताते हैं कि आखिर भारत ने यह कुटनीतिक सफलता हासिल कैसे की। दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक कुल चार जंग हो चुके हैं। परंतु कभी भी सिंधू नदीं समझौते को सस्पेंड करने के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं। जाहिर है पाकिस्तान भी इसके बारे में निश्चिंत था। यह पहली बार है, भारत की किसी सरकार ने पाकिस्तान की हरकतों से नाराज होकेर ऐसा कदम उठाया है। इससे पाकिस्तान तिलिमला गया और उसने अपना आपा खोते हुए शिमला समझौते समेत दोनों देशों के बीच हुए तमाम द्विपक्षीय समझौते स्थगित कर दिये।

Pahalgam Attack:

बता दें कि शिमला समझौते के तहत ही दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल यानी एलओसी निर्धारित हुई थी। समझौता रद्द होने के बाद से ही पाकिस्तान लगातार एलओसी पर गोलीबारी कर रहा है। हालांकि पहले भी पाकिस्तान इस समझौते का उल्लंघन कर एलओसी पर गोलीबारी करता रहा है। इसके अलावा पाकिस्तानी वीजा रद्द किये जाने के बाद बॉर्डर पर पाकिस्तान जानेवालों की लंबी कतारें लगी हैं। दोनों देशों के बीच तमाम तरह के व्यावार स्थगित हो गये हैं। दोनों ही देशों ने एक-दूसरे के लिए वायु मार्ग बंद कर दिया है।
इधर जंग की हालात के बीच पाकिस्तान के प्रांत व्लूचिस्तान ने उसकी परेशानी बढ़ा दी है। उसने आजादी का ऐलान करते हुए यूएन से समर्थन मांगा है।

Pahalgam Attack:

इतना ही नहीं कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान को कोई देश अब मदद करने को भी तैयारी नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान एक्सपोज हो चुका है। सारी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान आतंकियों का गढ़ बन चुका है। खास तौर पर हमास की पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के साथ तालमेल ने तो उसकी स्थिति और भी खराब कर दी है। भारत बार-बार दुनिया के पटल पर कह रहा है कि उसने सिर्फ आतंकी ट्रेनिंग सेंटरों को निशाना बनाया है, उसने पाकिस्तनी आर्मी सेंटरों या किसी सिविलयन पर अटैक नहीं किया है। जबकि पाकिस्तान लगातार भारतीय नागरिक और आर्मी क्षेत्रों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है। यह अलग बात है कि भारत न सिर्फ उसके हमले नाकाम कर रहा है, बल्कि उसे मुंहतोड़ जवाब भी दे रहा है।

भारत के राजनीतिक कुटनीति और सैन्य हमलों से धिरा पाकिस्तान आज दुनिया में अलग थलग पड़ा है। अमेरिका ने तो साफ कह दिया है कि वह दोनों देशों के बीच नहीं पड़ेगा। वहीं, रूस ने भारत को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। भारत ने आतंक जैसे संवेदनशील मुद्दे के दुनिया के सामने इतनी मजबूती से रखा है कि चीन भी खुल कर पाकिस्तान के समर्थन में कुछ नहीं बोल पा रहा। पाकिस्तान का समर्थक तुर्किये भी पहलगाम हमले की अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग कर रहा है।

Pahalgam Attack:

भारत ने इस घटना के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़े और कूटनीतिक कदम उठाए। भारत ने इस आंतकी हमले को न केवल प्लानिंग करके दुनिया के सामने पेश किया बल्कि “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत ये साबित करने की कोशिश कि भारत सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान के आतंकी बेस पर हमला कर रहा है नाकि पाकिस्तानी सेना के ऊपर। बता दे जिसके बाद से पाकिस्तान की ओर से LOC पर फायरिंग तेज कर दिया है। अब बात करते है भारत के द्वारा उठाए गए कूटनीतिक कदमों के बारे में हमले के तुरंत बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

इसके अलावा, भारत ने वाघा-अटारी सीमा को बंद कर दिया, जो कि दोनों देशों के बीच एकमात्र सड़क मार्ग है। पाकिस्तान के नागरिकों के लिए SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत जारी सभी वीजा रद्द कर दिए गए और वर्तमान में भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को जल्द से जल्द देश छोड़ने का आदेश दिया गया। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी हवाई और समुद्री मार्गों को बंद कर दिया और पाकिस्तान से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। इतना ही नहीं भारत ने 2 मई को साफ लफ्ज़ो में DGFT( The Directorate General of Foreign Trade) ने यह आदेश जारी की हर तरह की direct या indirect import पर प्रतिबंध लगाया जाए। Direct इम्पोर्ट यानी जो समान पाकिस्तान में बनता है वहीं और indirect इम्पोर्ट यानि समान पाकिस्तान का रहेगा लेकिन किसी और देश के मदद से भेजा जायेगा।

इन कदमों के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का दबाव बनाने का प्रयास किया है। भारत को इस हमले के बाद कई देशों से समर्थन मिला है, जिनमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस, इज़राइल, जापान, ब्रिटेन, नेपाल, यूएई और मॉरीशस जैसे देश शामिल हैं। अमेरिका ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की, जबकि फ्रांस और इज़राइल ने भारत के आतंकवाद विरोधी संघर्ष में पूरी सहायता देने का वचन दिया। यूएई के राष्ट्रपति ने भारत के प्रति शोक व्यक्त करते हुए पाकिस्तान से आतंकवाद को समाप्त करने की बात की।

Pahalgam Attack:

जापान ने भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के प्रयासों का समर्थन किया। ब्रिटेन ने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए पाकिस्तान से कड़े कदम उठाने की बात की। नेपाल और मॉरीशस ने भी भारत के साथ खड़े रहने का संकेत दिया। इसके अलावा, जी7 और जी20 देशों के नेताओं ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की और भारत के समर्थन में खड़े होने की बात की। इन देशों के समर्थन से भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह स्पष्ट संदेश मिला कि आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों को मिलकर एकजुट होकर काम करना चाहिए।देश के कठिन समय में क्या पक्ष क्या विपक्ष सारे राजनीतिक दल एक जूट होकर सरकार का समर्थन कर रहे है ।

बता दे पाकिस्तान की हालत इतनी खराब है है कि चीन भी पाकिस्तान का खुल कर सपोर्ट भी नहीं करा पा रहा है। इस बीच भारत और पाकिस्तान के बीच बनी युद्ध की स्तिथि किस रूप का आकर लेती है ये तो आनेवाला वक्त ही बताएगा। कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने इस बीच आइएमएफ से 2.3 अरब डालर की मदद मांगी थी। परंतु भारत के विरोध को देखते हुए महज एक अरब डालर का कर्ज ही मंजूर हुआ।

इस पर भारत ने विरोध दर्ज कराया है। ऐसे में अब यह तो तय है कि यदि दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ और कुछ लंबा चला, तो पाकिस्तान न सिर्फ भूखमरी से जुझेगा, बल्कि उसे अंदरूनी कलह का भी सामना करना पड़ेगा। ब्लूचिस्तान तो पहले ही आजादी का दावा कर रहा है। खैबर पख्तून और पीओके में विरोध का सिलसिला शुरू हो चुका है। भारत की नदियों का पानी रोके जाने से भी पाकिस्तान की बदहाली कोगति ही मिलेगी।

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