रांची। देशभर में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 लागू हो गये हैं।
इन कानूनों के लागू होने से कई चीजों में बदलाव हो गया है। नए कानून में पुराने कानून के जो आवश्यक प्रावधान थे, उसे रखा गया है और जो गैर जरूरी थे, उसे हटा दिया गया है।
हत्या के लिए 302 की जगह धारा 103
नए कानून में अब हत्या के लिए धारा 302 की जगह 103 (1), जानलेवा हमला के लिए 307 की जगह धारा 109, दुष्कर्म के लिए धारा 376 की जगह धारा 64, चोरी के लिए 379 की जगह 303 (2) और ठगी की धारा बदल कर 316 कर दी गई है।
महिलाओं के साथ छेड़छाड़ पर अब धारा 354 की जगह 74
आईपीसी में महिला के साथ छेड़छाड़ की धारा 354 की जगह अब 74, किसी महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील साहित्य, वीडियो या फिल्म दिखाने की धारा 354 ए की जगह अब 75, किसी महिला को अपमानित करने के इरादे पर धारा 509 की जगह 79 हो जाएगा।
अपहरण संबंधी अपराध की धाराओं में भी बदलाव
किसी अवयस्क का अपहरण करने या गैरकानूनी रूप से किसी आवश्यक को अपने पास रखने पर लगने वाली धारा 363 की जगह 137 बी, किसी व्यक्ति की हत्या करने के उद्देश्य से अपहरण की धारा 364 की जगह 140 (1), किसी व्यक्ति के अपरण के बाद उसके साथ मारपीट करने, हत्या की धमकी देने की धारा 364 एक की जगह 140 (2), 10 वर्ष से कम के बालक का उसकी संपत्ति हड़पने की नीयत से अपहरण की धारा 365 की जगह 140 (3) लागू किया जाएगा।
सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने पर अब 132 के तहत केस
भारतीय दंड संहिता में सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने पर अब धारा 353 की जगह 132 के तहत केस होगा।
सरकारी कर्मचारियों या पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट में धारा 322 की जगह अब 121 (1) के तहत केस होगा।
झारखंड पुलिस नए कानून को लागू करने के लिए तैयार
झारखंड पुलिस भी नए कानून लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सभी जिलों के पुलिस पदाधिकारियों को पांच दिनों तक होटवार स्थित अनुसंधान ट्रेनिंग स्कूल, न्यू पुलिस लाइन और रांची विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग दी गई।
इस दौरान सभी पुलिसकर्मियों को नए कानून के बारे में बताया गया। साथ ही सभी पदाधिकारियों को एक बुलेट दिया गया। उसके आधार पर एक जुलाई से घटना होने पर वे नई धाराएं चलेगी।
पुराने मामलों में पुरानी धाराओं के तहत अदालत में सुनवाई
देश में 1 जुलाई से तीन नया आपराधिक कानून लागू हो गये। लेकिन पुराने मामलों में पुरानी धाराओं के तहत अदालत में सुनवाई जारी रहेगी।
पुराने मामले में पूर्व में निर्धारित धारा के तहत ही सजा सुनवाई जाएगी।
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