झारखंड सरकार ने संवैधानिक-स्थानिक ब्रेक डाउन किया: हाईकोर्ट
रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में निकाय चुनाव की घोषणा करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने चुनाव रोक कर संबैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन किया है। कोर्ट ने यह निर्देश गुरुवार को निकाय चुनाव को कराने वाली याचिका को निस्पादित करते हुए दिया।
पार्षद रोशनी खलखो ने दायर की थी याचिका
स्थानीय शहरी निकाय चुनाव कराने को लेकर पार्षद रोशनी खलखो द्वारा दायर याचिका मामले में जस्टिस अनंदा सेन की कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। इस मामले में सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया। इसमें सरकार द्धारा विकास किशन राव गवली vs महाराष्ट्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि उक्त केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश हैं कि ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय/पंचायत चुनाव कराए जायें।
इस पर रोशनी खलखो के अधिवक्ता विनोद सिंह ने जवाब दाखिल किया। उन्होंने कहा कि यहां सरकार कई प्रावधानों का उलंघन कर रही है। साथ ही सरकार अब आधे अधूरे जवाब देकर कोर्ट को भी अंधेरे में रख कर दिगभ्रमित कर रही है। सरकार विकास किशन राव गवली vs महाराष्ट्र सरकार याचिका का जिक्र तो कर रही है, लेकिन सुरेश महाजन vs मध्य प्रदेश मामले का जिक्र नहीं कर रहीं हैं।
उस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि सरकार को ओबीसी आरक्षण ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय/पंचायत चुनाव कराना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चुनाव ही नहीं कराए जाए, क्योंकि किसी भी परिस्थिति में चुनाव नहीं कराना सविधान की मूल अवधारणा धारा का हनन है। इसलिए ओबीसी आरक्षण कर चुनाव कराना एक प्रक्रिया है, लेकिन इसके कारण चुनाव नहीं कराना गलत है।
इसलिए उक्त केस में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव नहीं रोकने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि इस आदेश को रद्द या स्टे सुप्रीम कोर्ट भी नहीं कर सकता है। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के साथ देश के सभी राज्यों के लिए बताया है।
अधिवक्ता बिनोद सिंह ने कहा कि सरकार का जवाब अधूरा है और झारखंड में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। इसलिए याचिकाकर्ता रोशनी खलखो ने सरकार के ऊपर अलग से एक आवमाना याचिका भी दायर की है, क्योंकी सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी सरकार आधी अधूरी बातें रख कर जनता के साथ कोर्ट का समय भी बर्बाद कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रही है।
सुनवाई के बाद जस्टिस आनंद सेन ने याचिका को निस्पादित करते हुए कहा कि सरकार ने स्थानिक और संवैधानिक ब्रेकडाउन किया है। इसलिए कोर्ट सरकार को तीन हफ्ते के अंदर चुनाव की घोषणा का नोटिफिकेशन करने का आदेश देता है।
इसे भी पढ़ें