रांची। दिवाली गुजर चुकी है। अब झारखंड में चुनाव प्रचार जोर पकड़ेगा। सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों में नामांकन का काम खत्म हो चुका है। चुनाव लड़ने वालों में नौ पूर्व सांसद और एक वर्तमान सांसद शामिल हैं।
बड़े चेहरों में राज्यसभा सदस्य के रूप में राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करनेवाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री बनने वाले बाबूलाल मरांडी भी हैं।
केंद्र में मंत्री रहे डॉ रामेश्वर उरांव और सुदर्शन भगत का भी नाम शामिल है।
झामुमो की राज्यसभा सदस्य महुआ माजी भी सांसद पद से ज्यादा विधायिकी को महत्व दे रही है। वह भी रांची जैसी प्रतिष्ठित सीट से किस्मत आजमा रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि फिर से झामुमो नेतृत्व वाली सरकार बनेगी। ऐसे वह जीती, तो मंत्री पद भी पक्का है।
ये रहे टिकट से वंचितः
कुछ ऐसे भी पूर्व सांसद हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में टिकट लेने का प्रयास किया। अंतिम समय तक अपने-अपने दलों में दौड़ लगाए रखा। हालांकि, सफलता नहीं मिली। ऐसे सांसदों में दीपक प्रकाश, अजय मारू, रवींद्र कुमार राय, कामेश्वर बैठा और कुछ अन्य शामिल हैं।
पीएन सिंह व कड़िया हो चुके हैं ड्रॉपः
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कड़िया मुंडा और 2024 में पीएन सिंह को चुनावी राजनीति से दूर कर दिया था। दोनों नेताओं की उम्र ज्यादा बताकर टिकट नहीं दिया गया। दोनों पूर्व सांसद 75 वर्ष पार कर चुके हैं। हालांकि, 78 वर्ष के रामचंद्र चंद्रवंशी को विश्रामपुर से टिकट मिला है।
लोस में हारे, नहीं मिला टिकटः
लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे चार प्रत्याशियों को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला। इनमें खूंटी से भाजपा के अर्जुन मुंडा, रांची से कांग्रेस की यशस्विनी सहाय, धनबाद से कांग्रेस की अनुपमा सिंह और राजमहल से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े ताला मरांडी शामिल हैं।
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