सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर कसेगी नकेल
रांची। झारखंड में जल्द ही सोशल मीडिया पर पहरा लगने जा रहा है। राज्य सरकार इसे लेकर कड़े कदम उठाने जा रही है।
नई व्यवस्था में झारखंड सरकार सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार और विवादित पोस्ट पर कड़ी नजर रखेगी। सोशल मीडिया के पोस्ट पर निगरानी और प्रबंधन के लिए राज्य पुलिस मुख्यालय और सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग ने मिलकर योजना बनाई है।
इसके लिए स्पेशल साइबर सेल की मॉनिटरिंग विंग के साथ सोशल मीडिया लैब की स्थापना होगी। यह स्पेशल साइबर सेल आईजी के नेतृत्व में बनेगा, जिसकी देखरेख पुलिस मुख्यालय करेगा।
इस पर करीब 38 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पहले साल इस पर 21 करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे। विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली राज्य योजना प्राधिकृत समिति ने इस प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है।
आईटी विभाग ने अब इसे वित्त विभाग को भेजा है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
बताते चलें कि फिलहाल दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में गलत सूचना और अफवाहों के प्रसार की निगरानी और उस पर अंकुश लगाने के लिए स्वतंत्र साइबर सेल है।
पर झारखंड पहला राज्य होगा, जहां साइबर सेल के साथ ही सोशल मीडिया लैब भी बनेगी। अभी झारखंड पुलिस के पास ऐसा कोई बुनियादी ढांचा नहीं है।
अब फेसबुक, यू-ट्यूब, एक्स, इंस्टाग्राम, लिंकडइन, गूगल, वॉट्सएप, पिंटेरेस्ट, बफर और ब्लॉग को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।
आइए अब आपको बताते हैं कि ये विंग और सेल कैसे काम करेंगा और क्या होगा इनका प्रारूप।
जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया लैब में दो टीमें होंगी। एक टेक्नोलॉजी और दूसरी फील्ड टीम। आईजी रैंक के अधिकारी इसके प्रभारी होंगे।
फील्ड टीम में पुलिस मुख्यालय में नौ सदस्य होंगे। जोन और रेंज स्तर पर तीन-तीन सदस्यों की टीम होगी। थाने में एक विशेष सदस्य होगा।
हर जिले में एक टेक्निकल सपोर्ट यूनिट होगी, टेक्निकल सपोर्ट यूनिट में एक और बड़े साइबर अपराध प्रभावित जिलों में दो साइबर एक्सपर्ट होंगे। टेक्निकल टीम में कुल 45 लोग होंगे।
प्लान के मुताबिक विश्लेषण, निगरानी और प्रबंधन के लिए एक आईटी मंच होगा, जिसमें कई टीमें काम करेंगी। टीम निगरानी और प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेगी।
पोस्ट कंटेंट के विशेषज्ञ यह पता करेंगे कि पोस्ट किसी अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति का तो नहीं है। यदि है तो तुरंत पुलिस को सूचना देगा।
इससे पुलिस को संवेदनशील मुद्दों और विरोध प्रदर्शनों से निपटने में अपनी तैयारी करने में मदद मिलेगी।
सोशल मीडिया लैब की टीम भावना-व्यवहार पैटर्न की पहचान, प्रभाव और परिवर्तन को ट्रैक करेगी। फिर पुलिस को कार्रवाई करने के लिए तुरंत ही अलर्ट करेगी।
संभावित घटनाओं का पूर्वानुमानित विश्लेषण भी तैयार करेगा। संभावनाओं की गंभीरता के बारे में भी पुलिस को टिप्स देगी। यह आम लोगों या सामुदायिक समूह की भागीदारी के संबंध में खुफिया जानकारी भी देगा।
आम तौर पर इन दिनों देखा जा रहा है कि किसी की भी छवि धूमिल करने के लिए सोशल मीडिया का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसके लिए भी सूचना एवं प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस विभाग ने खास प्लान बनाया है। आईटी विभाग का कहना है कि सोशल मीडिया पर किसी की छवि धूमिल करने और ब्लैकमेलिंग की शिकायतें रोकने के लिए खास व्यवस्था की जा रही है।
उम्मीद की जा रही है कि स्वतंत्र साइबर सेल और विंग के बनने के बाद सोशल मीडिया पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और इसका दुरुपयोग रूकेगा।
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