धनबाद। झरिया कोयलांचल में विधायक जी के नाम से प्रसिद्ध सूर्यदेव सिंह का नाम आज भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है। उनमें कई खासियतें, जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती थीं। इन्ही की वजह से समाज के हर वर्ग से उन्हें आदर और सम्मान आजीवन मिलता रहा।
कहने को तो वह एक बाहुबली नेता थे, जिनकी मर्जी के बगैर कोयलाचंल में पत्ता तक नहीं हिलता था। इसके कारण उनके विरोधी उनसे खौफ खाते थे, पर वह लोगों का दिल जीतने में विश्वास रखते थे। उनकी कई खासियतें, उन्हें खास बनाती थीं।
वर्ष 1977 से 1991 तक लगातार झरिया के विधायक के रूप में सूर्यदेव सिंह ने यहां के लोगों की सेवा की और पूरे कोयलांचल के दिल पर राज किया।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिला स्थित गोन्हिया छपरा में एक किसान परिवार के घर में जन्मे सूर्यदेव सिंह लगभग 22 वर्ष की उम्र में काम की तलाश में झरिया आए थे। शैक्षणिक योग्यता अधिक नहीं होने के कारण उन्होंने कोलियरी में कई वर्षों तक काम किया।
बाद में मजदूर नेता बीपी सिन्हा के के साथ जुड़कर काम किया। वे वर्षों तक विभिन्न मजदूर संगठनों में भी रहे। सूर्यदेव सिंह ने जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में यहां के श्रमिक नेता एसके राय को हराया और पहली बार 1977 में झरिया के विधायक बने।
इसके बाद उन्होंने 1980, 1985 और 1990 में भी जीत दर्ज की। झरिया से लगातार चार बार चुनाव जीतने का रिकार्ड सूर्यदेव सिंह के ही नाम है।
यहां एक पहलवान के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। कुछ समय के बाद एक मजदूर संगठन से जुड़ कर वे झरिया के कोयला मजदूरों की सेवा में जुट गए। कुछ वर्षों में ही मजदूर नेता के रूप में अपनी कार्यकुशलता से सबका दिल जीत लिया।
मजदूरों और यहां के लोगों के दिलों में ऐसी पहचान बनाई कि जीवन के अंतिम समय तक झरिया के विधायक बने रहे।
विधायक सूर्यदेव सिंह जेपी आंदोलन के समय समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश और युवा तुर्क के नाम से प्रसिद्ध चंद्रशेखर के करीब आए।
वर्ष 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट से झरिया के विधायक बने। चंद्रशेखर जब प्रधानमंत्री बने तो सूर्यदेव के आग्रह पर कई बार झरिया और धनबाद आए। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सूर्यदेव सिंह को काफी मानते थे।
झरिया के विधायक सूर्यदेव सिंह का लोकसभा चुनाव के दौरान वर्ष 1991 में आरा में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
इसके बाद उनके अनुज बच्चा सिंह झरिया के विधायक और झारखंड के मंत्री बने। इसके बाद स्व सूर्यदेव की पत्नी कुंती देवी और पुत्र संजीव सिंह झरिया के विधायक बने।
अभी उनके परिवार की बहू पूर्णिमा नीरज सिंह झरिया की विधायक है। 1970 के दशक में झरिया के विधायक रहते हुए सूर्यदेव सिंह ने झरिया के कोयला मजदूरों की सेवा के लिए जनता मजदूर संघ का गठन किया। इसके माध्यम से वे मजदूरों की समस्याओं को लेकर हमेशा लड़ाई लड़ी।
उन्हें उनका हक दिलाया। जनता मजदूर संघ के प्रति आज भी हजारों मजदूरों की आस्था है। अभी कुंती देवी जनता मजदूर संघ की महामंत्री हैं। झरिया और इसके आसपास क्षेत्रों में जब भी आपसी सौहार्द बिगड़ा तो सूर्यदेव सिंह आगे आकर हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई सभी लोगों को एकजुट कर सांप्रदायिक सौहार्द को कायम किया और यही उनकी सबसे बड़ी खासियत थी।
1984 में सिखों पर जब हमला हुआ तो उन्होंने सड़क पर उतर कर उनकी रक्षा की। सिंदरी में जब बाहरी-भीतरी को लेकर बवाल हुआ तो वहां पहुंचकर उसे शांत कराया।
झरिया में जब हिंदू-मुस्लिम एकता पर आंच आई तो वे सभी धर्म के लोगों को एकजुट कर एकता की मिसाल पेश की।
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