रांची: जदयू ने इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी कर ली है। इसे लेकर नीतीश कुमार गंभीर हैं और उन्होंने बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
जेडीयू झारखंड में 11 विधानसभा सीटों पर इस बार चुनाव लड़ेगा। 2019 में पार्टी ने 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
हालांकि उनमें कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया था। जदयू नेता और बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का कहना है कि ‘जेडीयू सिर्फ झाल बजाने की भूमिका में नहीं रहना चाहता।
उसका अपना अलग अस्तित्व है। इसलिए इस बार भी जेडीयू के उम्मीदवार ताल भी ठोकेंगे और पछाड़ेंगे भी। पिछली बार से इस बार में फर्क यही होगा कि जेडीयू एनडीए में रह कर ही चुनाव लड़ेगा। इसके लिए बातचीत चल रही है।
बिहार में भाजपा के साथ जेडीयू सरकार चला रहा है तो केंद्र में भाजपा को जेडीयू ने समर्थन दिया है। इसलिए झारखंड में भी जेडीयू एनडीए फोल्डर में ही रह कर चुनाव लड़ेगा।
माना ये भी जा रहा है कि नीतीश कुमार ने झारखंड चुनाव में ‘जय-वीरू’ की जोड़ी उतारने का फैसला कर लिया है। एक तरह से जदयू ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सबसे बड़ा दांव खेल दिया है।
झारखंड में JDU खोई जमीन हासिल करना चाहता है
झारखंड जेडीयू की जमीन भी रही है। बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद जेडीयू के झारखंड में कभी पांच विधायक होते थे।
जेडीयू विधायक जलेश्वर महतो तो झारखंड सरकार में मंत्री भी रहे। बाद में झारखंड से जेडीयू की जमीन खिसक गई।
यही वजह है कि जेडीयू अब अपना विस्तार करते हुए फिर से झारखंड में भाग्य आजमाना चाहता है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जिस कुर्मी बिरादरी से आते हैं, उसकी खासा आबादी भी झारखंड में है।
अभी तक उस बिरादरी के एकमात्र नेता आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के नेता सुदेश महतो ही झारखंड में हैं।
हालांकि अब एक और कुर्मी नेता झारखंडी भाषा खतियान समिति (जेबीकेएसएस) के जयराम महतो तेजी से झारखंड की राजनीति में उभर रहे हैं।
जेडीयू को उम्मीद है कि लंबे समय से बिहार का सीएम रहते नीतीश कुमार की एक अलग पहचान है। इसलिए बिरादरी के वोटों को अपने पाले में करने में जेडीयू को कोई खास परेशानी नहीं होगी।
दूसरे कि एनडीए में रह कर चुनाव लड़ने से भाजपा और आजसू का साथ भी आसानी से मिल जाएगा। शून्य पर सिमटे जेडीयू को इससे यकीनन संजीवनी मिल जाएगी।
राज्यसभा सांसद खीरू खीरू महतो के हाथ है कमान
जेडीयू ने झारखंड में संगठन की कमान खीरू महतो को सौंपी है। झारखंड में अपनी जमीन तैयार करने के लिए ही नीतीश कुमार ने खीरू को बिहार के कोटे से राज्यसभा भेजा था।
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में खीरू महतो के बूते ही जेडीयू ने 40 उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि तब एनडीए से अलग होकर जेडीयू ने चुनाव लड़ा था।
शायद यही वजह रही कि एक दूसरे के वोट उसे ट्रांसफर नहीं हुए और जेडीयू को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी।
विधायक सरयू राय का BJM बनेगा जेडीयू का साथी
जेडीयू ने इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने की पुख्ता तैयारी की है। पार्टी ने निर्दलीय सांसद भारतीय जनतंत्र मोर्चा (बीजेएम) के साथ तालमेल किया है।
सरयू राय मूल रूप से पहले भारतीय जनता पार्टी में ही थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया तो वे तत्कालीन सीएम रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय चुनाव लड़े और उन्हें हरा कर काफी सुर्खियां बटोरी थीं।
उसके बाद वर्ष 2021 में सरयू राय ने भारतीय जनतंत्र मोर्चा नामक पार्टी बनाई। वे नीतीश कुमार के पुराने मित्र हैं।
हाल के दिनों में वे नीतीश कुमार से मिलते रहे हैं और जेडीयू से तालमेल कर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं।
उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि सब कुछ ठीक रहा तो वे अपनी पार्टी बीजेएम का विलय जेडीयू में कर देंगे।
सरयू राय के साथ आने से झारखंड में जेडीयू मजबूत हो जाएगा और उसे कुछ सीटों पर कामयाबी जरूर मिलेगी।
JDU ने अपने लिए टार्गेट की विधानसभा की 11 सीटें
जेडीयू ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए झारखंड में सीटों के चिह्निकरण का काम भी पूरा कर लिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक 11 ऐसी सीटों की पहचान भी कर ली गई है।
उम्मीदवारों के चयन का काम भी शुरू हो गया है। इसमें जमशेदपुर पूर्वी सीट से सरयू राय की उम्मीदवारी तो पक्की ही मानी जा रही है। पिछले सप्ताह ही नीतीश कुमार ने जेडीयू की झारखंड इकाई के नेताओं के साथ बैठक की है।
बैठक में पार्टी इकाई के प्रमुख खीरू महतो ने 11 सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची भी राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपी। बैठक में झारखंड से गए कुर्मी नेताओं ने नीतीश कुमार को सलाह दी कि कुर्मी जाति को अनुसूचित जन जाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने को पार्टी मुद्दा बनाए।
साथ ही इसके लिए केंद्र सरकार पर दबाव भी डाला जाए। बकौल खीरू महतो राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने आश्वस्त किया है कि इस मुद्दे को उनकी पार्टी के सांसद संसद में उठाएंगे। कुर्मी जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग झारखंड में अरसे से हो रही है।
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