नई दिल्ली, एजेंसियां। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को देश के सरकारी और प्राइवेट बैंकों को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें डिपॉजिट बढ़ाने के लिए अनोखी और आकर्षक योजनाएं लानी चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि डिपॉजिट और लोन एक गाड़ी के दो पहिए हैं। इसमें डिपॉजिट धीरे-धीरे घट रही है।
अपने मुख्य कारोबार पर फोकस करें बैंक
निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों को कोर बैंकिग यानी मुख्य कारोबार पर फोकस करने की जरूरत है।
इसमें डिपॉजिट अमाउंट जुटाना और फंड के जरूरतमंद लोगों को लोन देना शामिल है। उन्होंने बैंकों से डिपॉजिट और लोन के बीच के अंतर को पाटने के लिए लोगों से रकम जुटाने के लिए अनोखी और आकर्षक योजना लाने की बात कही।
डिपॉजिट और लोन के बीच के अंतर पर आरबीआई चिंतित
इस दौरान आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दरें नियंत्रणमुक्त हैं। बैंक अक्सर धन आकर्षित करने के लिए डिपॉजिट रेट बढ़ाते हैं।
उन्होंने कहा कि बैंक ब्याज दर पर फैसला लेने के लिए आजाद हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 अगस्त 2024 को ही द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए बैंकों में डिपॉजिट और लोन के के बीच बढ़ते अंतर पर चिंता जताई थी।
शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट से पैदा सकता है नकदी संकट
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने देश के बैंकों से कहा था कि वे अपने बड़े शाखा के नेटवर्क का लाभ उठाते हुए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के जरिए डिपॉजिट बढ़ाने की बात कही थी।
उन्होंने कहा था कि बैंक बढ़ती लोन डिमांड को पूरा करने के लिए शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट और लिएबिलिटी जैसे साधनों का अधिक सहारा ले रहे हैं। जैसा कि मैंने जोर दिया है, इससे बैंकिंग प्रणाली में संरचनात्मक नकदी संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
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