पुरी, एजेंसियां। ओड़िशा की नई नवेली बीजेपी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर को लेकर बड़ा फैसला लिया है।
सरकार ने मंदिर के सभी चार द्वारों को फिर से खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके बाद प्रशासन की मौजूदगी में जगन्नाथ मंदिर के चारो द्वार खोले गये।
इस अवसर पर खुद प्रदेश के नए सीएम मोहन चरण माझी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि भक्तों की सुविधा के लिए चारों द्वार खोले गये हैं।
क्यों बंद थे द्वार?
जगन्नाथ पुरी मंदिर की बात करें तो यहां कुल चार दरवाजे हैं। इनके नाम सिंह द्वार, अश्व द्वार, व्याघ्र द्वार और हस्ति द्वार हैं।
कोरोना काल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तीन द्वार बंद कर दिए थे, जिसे अबतक नहीं खोला गया था।
जब कोरोना महामारी का प्रभाव कम होने लगा तो केवल सिंह द्वार को ही खोलने का फैसला किया गया था।
इसकी वजह से एक द्वार से भक्तों की एंट्री व एक्जिट थी। एक ही द्वार खुलने की वजह से श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए काफी इंतजार करना पड़ता था।
बीजेपी ने इसे अपने चुनावी मुद्दे में किया शामिल
पिछले दिनों ओडिशा में विधानसभा चुनाव हुए। चुनाव के दौरान पार्टियों ने कई तरह के वादे जनता से किए।
बीजेपी ने चुनावों के दौरान वादा किया था कि उनकी सरकार बनते ही मंदिर के सभी दरवाजों को खोला जाएगा।
वहीं चुनाव में जीत के बाद बीजेपी सरकार ने अपना वादा पूरा किया और 5 सालों से बंद जगन्नाथ पुरी के 3 अन्य द्वारों को खोल दिया गया।
ओडिशा की बीजेपी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में 12वीं शताब्दी के इस मंदिर की तत्काल आवश्यकता के लिए एक निधि स्थापित करने का भी फैसला लिया।
सीएम मोहन चरण माझी ने कहा
जगन्नाथ पुरी मंदिर के द्वार खुलने के वक्त सीएम मोहन चरण माझी के साथ बीजेपी सांसद संबित पात्रा के अलावा अन्य नेता मौजूद थे।
सीएम मोहन चरण माझी ने कहा कि जगन्नाथ मंदिर और अन्य कार्यों के विकास के लिए, हमने कैबिनेट में एक फंड का प्रस्ताव रखा है।
जब हम अगला राज्य बजट पेश करेंगे, तो मंदिर प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपये का एक कोष आवंटित करेंगे।
सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगी और जरूरत पड़ी तो मंदिर में श्रद्धालुओं के आवागमन को सुचारू बनाने के लिए और भी जरूरी कदम उठाएगी।
केंद्रीय मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि हमने रिपोर्ट मांगी है कि पिछले तीन साल से मंदिरी के तीन अन्य दरवाजे क्यों नहीं खोले गये थे।
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