यहाँ आकर दिल और दिमाग को मिलता है सुकून
सामने खुला समुद्र। समुद्र की सुखद हवा और उफनती लहरों के बीच एक बड़ी सी टापूनुमा चट्टान।
यह बहुत ही रहस्यमय और सुंदर है। इस टापू पर बना एक भव्य और सुंदर स्मारक। यह भारत के उस महान संत को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने इस भूमि की आध्यात्मिक चमक से दुनिया का परिचय कराया।
आज दुनिया इसे विवेकानंद रॉक मेमोरियल के नाम से जानती है। यह खुद इस संत की तरह ही कालातीत है।
आज यह विवेकानंद राक सेंटर एक बार फिर से इसलिए भी चर्चा में है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 30 मई को 45 घंटों के लिए यहां ध्यान लगाया था।
उनकी इस साधना के दौरान मीडिया की सुर्खियों में यह सेंटर बना रहा। देश दुनिया के लोगों ने इसके बारे में सबकुछ जानना चाहा।
यहां आकर दिल और दिमाग दोनों को ही सुकून मिलता है। समुद्र की लहरों की सीना ताने खड़ा यह स्मारक स्वामी विवेकानंद के दृढ़ता का परिचायक है।
महान आध्यात्मिक संत के विचारों का कराता है अहसास
स्वामी विवेकानंद, जो अब तक के सबसे महान आध्यात्मिक संत और नेताओं में से एक हैं, ने कहा था कि दिल और दिमाग के बीच संघर्ष में, अपने दिल की सुनो।
जब आप कन्याकुमारी पहुंचते हैं, तो आप अपने दिल और दिमाग दोनों की बात मानने से खुद को रोक नहीं पाते, क्योंकि विवेकानंद रॉक मेमोरियल आपको अपनी शानदार भव्यता के साथ आमंत्रित करता है।
भारत में सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले पर्यटन आकर्षणों में से एक, विवेकानंद रॉक मेमोरियल मुख्य भूमि से लगभग 500 मीटर की दूरी पर समुद्र में एक चट्टाननुमा टापू पर स्थित है।
19वीं सदी के दार्शनिक और लेखक स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में भारत की आध्यात्मिक ख्याति को दुनिया के सामने रखा।
54 साल पहले बना था स्मारकः
महान भिक्षु के सम्मान में 1970 में यह स्मारक बनाया गया था। जिस चट्टान पर स्मारक बनाया गया है, कहा जाता है कि यहीं पर विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
किंवदंतियां यह भी कहती हैं कि इसी चट्टान पर देवी कन्याकुमारी ने भगवान शिव की पूजा की थी।
इस प्रकार इसे भारत के धार्मिक परिसर में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ। चट्टान पर एक विशेष रूप से संरक्षित भाग है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह देवी के पैरों की छाप है।
स्मारक विभिन्न स्थापत्य शैलियों का एक सुंदर मिश्रण प्रदर्शित करता है। श्रीपद मंडपम और विवेकानंद मंडपम स्मारक में खोजी जाने वाली दो संरचनाएं हैं। परिसर में स्वामी विवेकानंद की आदमकद कांस्य प्रतिमा भी है।
तीन सागरों का संगम
यह चट्टान लक्षद्वीप सागर से घिरी हुई है, जहां बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर का संगम होता है। यह स्थान बिल्कुल मनोरम है और आपको आश्चर्यचकित कर देगा।
इसे भी पढ़ें