नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में जातीय हिंसा के दौरान पूरी तरह या आंशिक रूप से जलाये गये आवासों और संपत्तियों तथा इन पर अतिक्रमण का विवरण सीलबंद लिफाफे में उपलब्ध कराये।
न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि संपत्तियों पर अतिक्रमण और आगजनी करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिका पर सुनवाई 20 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए तय की है।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेशः
पिछले साल अगस्त में शीर्ष अदालत ने पीड़ितों के राहत और पुनर्वास तथा उन्हें मुआवजा देने की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का आदेश दिया था।
इसके अलावा, अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने को कहा था।
मणिपुर हिंसा में मारे जा चुके हैं 160 लोगः
मणिपुर में तीन मई, 2023 को पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और कई सौ घायल हुए हैं।
बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था, जिसके बाद जातीय हिंसा भड़क उठी।
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