Shashi Tharoor:
नई दिल्ली, एजेंसियां। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण प्राइवेट मेंबर बिल पेश करते हुए मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने की जोरदार मांग की। उन्होंने कहा कि शादी किसी भी महिला के सहमति देने के अधिकार को समाप्त नहीं कर सकती। उनका स्पष्ट संदेश था“नहीं का मतलब नहीं और सिर्फ हां का मतलब हां”, चाहे रिश्ता शादी का ही क्यों न हो।थरूर ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) से मैरिटल रेप एक्सेप्शन हटाने का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि भारत को अपने संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप कानून विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में BNS, 2023 की धारा 63 विवाहित महिलाओं के साथ बलपूर्वक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखती है, जो औपनिवेशिक काल की पुरुष-प्रधान सोच का अवशेष है।
‘मैरिटल रेप शादी नहीं, हिंसा का मुद्दा’ — थरूर
सांसद ने जोर दिया कि हर महिला को शादी के भीतर भी शारीरिक आजादी, सुरक्षा और सम्मान का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि हमारा कानूनी ढांचा इस दिशा में महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा देने में विफल रहा है। बिल के उद्देश्य और कारणों में कहा गया कि मैरिटल रेप को अपराध न मानना, शादीशुदा महिलाओं को अविवाहित महिलाओं की तुलना में कानूनी रूप से और अधिक असुरक्षित बना देता है।थरूर ने बताया कि वर्तमान कानून पुरुषों को अपनी पत्नियों के साथ बिना सहमति के यौन संबंध बनाने की अनुमति देता है, बशर्ते पत्नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक हो। यह मानसिकता पत्नी को पति की ‘संपत्ति’ के रूप में देखने वाली पुरानी सोच पर आधारित है, जिसे अब बदलना आवश्यक है।
अन्य दो प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश:
मैरिटल रेप पर बिल के अलावा, थरूर ने दो और बिल पेश किए—
ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ और वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020 में संशोधन के लिए
स्टेट्स और यूनियन टेरिटरीज़ रीऑर्गेनाइजेशन कमीशन बनाने के लिए, ताकि केंद्र को पुनर्गठन संबंधी सिफारिशें दी जा सकें।
थरूर की यह पहल न सिर्फ सामाजिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, बल्कि यह भारत में महिलाओं की सुरक्षा और सहमति के अधिकार पर नई बहस को भी जन्म देती है।



