RBI changes rules:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सोमवार को ‘रुपया इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स’ (IRD) से जुड़े नियमों में बदलाव का मसौदा जारी किया। इसका उद्देश्य बदलते वित्तीय माहौल और विदेशी निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के मद्देनज़र मौजूदा नियमों को अपडेट करना है।
RBI changes rules: पुराने नियमों में बदलाव
IRD से जुड़े मौजूदा नियमों में आखिरी बार जून 2019 में बदलाव किया गया था, लेकिन अब बाज़ार में नए प्रोडक्ट्स आ चुके हैं और विदेशी कंपनियों की भागीदारी भी काफी बढ़ गई है। ऐसे में आरबीआई ने नियमों की पूरी समीक्षा की है और नया ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसका नाम है- Draft Master Direction, Reserve Bank of India (Rupee Interest Rate Derivatives) Directions, 2025।
RBI changes rules: IRD क्या होते हैं?
इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स (IRD) वित्तीय कॉन्ट्रैक्ट होते हैं जिनकी वैल्यू रुपये की ब्याज दरों, ब्याज से जुड़े वित्तीय उपकरणों या इंटरेस्ट रेट इंडेक्स पर निर्भर करती है। इन्हें आमतौर पर जोखिम से बचाव (hedging) और बाज़ार में मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
RBI changes rules: नए नियमों के तहत बदलाव
नए मसौदे के तहत, विदेशी कंपनियां (non-resident entities) अपने सेंट्रल ट्रेज़री या ग्रुप एंटिटी के ज़रिए IRD में लेन-देन कर सकेंगी। हालांकि, शर्त यह है कि जो संस्था विदेशी निवेशकों की तरफ से डील करेगी, उसे अधिकृत होना चाहिए, ताकि कोई गड़बड़ी न हो। इसके अलावा, आरबीआई ने रिपोर्टिंग प्रक्रिया को सरल बनाने का भी प्रस्ताव रखा है, जिससे अनुपालन का बोझ कम हो सके।
RBI changes rules: विदेशी निवेशकों के लिए राहत
इस बदलाव के माध्यम से विदेशी कंपनियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा। अब उन्हें IRD ट्रांजैक्शन से जुड़ी रिपोर्टिंग के लिए अधिक जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना नहीं पड़ेगा, और भारत के बाहर हुए IRD लेन-देन की रिपोर्टिंग भी अनिवार्य की जाएगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
RBI changes rules: सुझाव भेजने की आखिरी तारीख
आरबीआई ने बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और IRD से जुड़े सभी बाज़ार सहभागियों से आग्रह किया है कि वे इस ड्राफ्ट पर 7 जुलाई 2025 तक अपने सुझाव और प्रतिक्रिया भेजें।
RBI changes rules: क्यों है यह बदलाव अहम?
यह बदलाव दिखाता है कि भारत का केंद्रीय बैंक वित्तीय बाज़ार को वैश्विक मानकों के अनुसार विकसित करने के लिए गंभीर है। इससे न सिर्फ विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारतीय कंपनियों को भी बेहतर जोखिम प्रबंधन के मौके मिलेंगे।
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