दिनांक – 17 सितम्बर 2024
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी सुबह 11:44 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – शतभिषा दोपहर 01:53 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
योग – धृति सुबह 07:48 तक तत्पश्चात शूल
राहुकाल – शाम 03:36 से शाम 05:08 तक
सूर्योदय -05:37
सूर्यास्त- 06:03
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
अनंत चतुर्दशी,श्रीगणेश विसर्जन,श्रीगणेश महोत्सव समाप्त,व्रत पूर्णिमा,प्रौष्ठपदी पूर्णिमा,पित्र पक्ष प्रारंभ,महालय श्राद्ध आरंभ,पूर्णिमा का श्राद्ध,पंचक
विशेष – चतुर्दशी व पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
श्राद्ध पक्ष का पूरा फायदा उठाए | कौनसी श्राद्ध तिथि का क्या लाभ होता है जरूर करे श्राद्ध
श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम
17 सितम्बर 2024 मंगलवार से महालय श्राद्ध आरम्भ ।
- श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्म पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।
- श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें l
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ll देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च l
*नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव भवन्त्युत ll
समस्त देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं l ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं l - “श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आपके कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं*
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा| - जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं l कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है l
- पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें|
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