दिनांक – 16 सितम्बर 2024
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी शाम 03:10 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – धनिष्ठा शाम 04:33 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – सुकर्मा सुबह 11:42 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल – सुबह 07:58 से सुबह 09:30 तक
सूर्योदय -05:37
सूर्यास्त- 06:03
दिशाशूल – पूर्व दिशा मे
व्रत पर्व विवरण –
षडशीति-कन्या संक्रान्ति (पुण्यकाल : दोपहर 12:21 से सूर्यास्त तक, पंचक (आरंभ -प्रातः05:44)
विशेष – *द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
संतान सुख की प्राप्ति के लिए गणेश विसर्जन से पहले यह कार्य करले | अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए अनंत चतुर्दशी पर करले इतना
लोकोपयोगी सरल प्रयोग
दरिद्रता दूर करने व काम-धंधे में सफलता हेतु
घर में अगर दरिद्रता नहीं लाना चाहते हो तो बकरी के पैरों की धूल, बिल्ली के पैरों की धूल और झाडू की धूल घर में नहीं आनी चाहिए।
तुमने देखा होगा कि जिसके पास बकरियाँ हैं वह यदि रोज ५० किलो दूध बेचता है तो करीब १५०० रुपये हो गये और फिर बकरी के बच्चे बेचता है फिर भी उसके यहाँ दरिद्रता होगी।
बकरी के पैरों की धूल घर में आयेगी तो दरिद्रता कभी नहीं जा सकती ।
हाँ, देशी गाय के खुर की धूलि अच्छी होती है, वह पवित्र बना देती है। गाय के पैरों की धूलि का ललाट पर तिलक करके काम-धंधे पर जायें तो सफलता मिलती है अथवा कोई काम अटका है तो वह अटकन-भटकन निकल जाती है।
बुद्धि व स्वास्थ्य की रक्षा हेतु भाद्रपद मास (२० अगस्त से १८ सितम्बर तक) में दही खाने से स्वास्थ्य खराब होता है। अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि कमजोर होती है।
इन पुण्यदायी तिथियों व योगों का अवश्य उठायें लाभ
25 सितम्बर : बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से दोपहर 12:10 तक) (यह सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी है। इसमें ध्यान, जप, मौन आदि का अक्षय प्रभाव होता है।)
26 सितम्बर : गुरुपुष्यामृत योग (रात्रि 11:34 से 27 सितम्बर सूर्योदय तक) (इस सर्वसिद्धिकर योग में ध्यान, जप, दान, पुण्य महाफलदायी तथा विवाह वर्जित है।)
28 सितम्बर : इंदिरा एकादशी
04 अक्टूबर : पूज्य बापूजी का आत्मसाक्षात्कार दिवस
12 अक्टूबर : विजयादशमी (सब शुभ कार्यों में सिद्धि देनेवाली, पूरा दिन शुभ मुहूर्त), विजय मुहूर्त (दोपहर 02:10 से 02:57 तक) (संकल्प, शुभारम्भ, नूतन कार्य, सीमोल्लंघन के लिए), दशहरा, गुरु-पूजन, अपराजिता-शमी वृक्ष-अस्त्र- शस्त्र-वाहन पूजन
13 अक्टूबर : पापांकुशा/पाशांकुशा एकादशी (स्मार्त) [इस एकादशी से शरद पूर्णिमा (16 अक्टूबर) तक रात्रि में चन्द्रमा को कुछ समय एकटक देखें व शरद पूर्णिमा की रात में सूई में धागा पिरोयें । इससे नेत्रज्योति बढ़ती है ।]
14 अक्टूबर : त्रिस्पृशा पापांकुशा /पाशांकुशा एकादशी (भागवत) (इसका उपवास करने से कभी यमयातना नहीं प्राप्त होती।
यह आरोग्य, सुंदर स्त्री, धन, मित्र, स्वर्ग व मोक्ष प्रदायक तथा माता, पिता एवं पत्नी के पक्ष की 10-10 पीढ़ियों का उद्धार कर देनेवाला व्रत है।) (त्रिस्पृशा एकादशी के दिन उपवास करने से 1000 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है । – पद्म पुराण)
16 अक्टूबर : शरद पूर्णिमा (इसकी रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध-चावल की खीर का सेवन पित्तशामक है ।)
17 अक्टूबर : कार्तिक व्रत-स्नान आरम्भ (कार्तिक मास में आँवले की छाया में भोजन करने से पाप नष्ट व पुण्य कोटि गुना हो जाता है ।)
24 अक्टूबर : गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से 25 अक्टूबर सूर्योदय तक)
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