दिनांक – 04 सितम्बर 2024
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा सुबह 09:46 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी 05 सितम्बर प्रातः 06:14 तक तत्पश्चात हस्त
योग – साध्य रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात शुभ
राहुकाल – दोपहर 12:37 से दोपहर 02:11 तक
सूर्योदय -05:34
सूर्यास्त- 06:05
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
चंद्र -दर्शन (शाम 06:41 से रात्रि 07:25 तक
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
वास्तु शास्त्र
इस तरह कर सकते हैं वास्तुदोष का अंत
घर का जो हिस्सा वास्तु के अनुसार सही न हो, वहां घी मिश्रित सिंदूर से श्री गणेश स्वरुप स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होने लगता है।
आर्थिक परेशानी रहती हो तो
अथर्ववेद की गणेश उपनिषद के अनुसार दूर्वा ( जो गणेशजी की पूजा के काम में आता है ) उसे घी में डुबायें …. और आहूति दें …. ये मंत्र बोल कर आहूति डालें … ” ॐ गं गणपतये स्वाहा “
समाज में हर काम में विफलता – अपयश मिलता हो तो
जिन लोगो को समाज में हर काम में विफलता मिलती है, अपयश मिलता है, वे लोग साल (संस्कृत में उसे लाजा कहते है ) में घी मिलाकर गणपति मंत्र से हवन करें तो कार्य सिद्ध होते हैं । यश की वृद्धि होती है ।
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