दिनांक – 30 अगस्त 2024
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वादशी 31 अगस्त रात्रि 02:25 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – पुनवसु शाम 05:56 तक तत्पश्चात पुष्य
योग – व्यतीपात शाम 05:47 तक तत्पश्चात वरीयान
राहुकाल – सुबह 11:05 से दोपहर 12:39 तक
सूर्योदय -05:32
सूर्यास्त- 06:05
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – *द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
2 सितम्बर सोमवती अमावस्या पर लक्ष्मी प्राप्ति पितृ सद्गति और घर मे सकारात्मक प्रभाव के लिए इनमे से करे कोई उपाय
शनिप्रदोष व्रत
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
इस बार 31 अगस्त, शनिवार को शनिप्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…
ऐसे करें व्रत व पूजा
प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।
भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।
भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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