दिनांक – 15 जून 2024
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
मास – ज्येष्ठ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी 16 जून रात्रि 02:32 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी सुबह 08:14 तक तत्पश्चात हस्त
योग – व्यतीपात रात्रि 08:11 तक तत्पश्चात वरीयान
राहुकाल – सुबह 09:18 से सुबह 10:59 तक
सूर्योदय-05:08
सूर्यास्त- 06:30
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
षडशीति-मिथुन संक्रांति (पुण्यकाल:सूर्योदय से दोपहर 12:28 तक)
विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी।
जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)l
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
निर्जला एकादशी मे करले यह कार्य वर्ष भर की एकादशी का पुण्य प्राप्त होगा और होगी समृद्धि की वृद्धि
गंगा दशहरा
16 जून 2024 रविवार को गंगा दशहरा समाप्त ।
नारद पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास को मंगलवार को शुक्लपक्ष में दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में जाह्नवी का पहाडों से मर्त्यलोक में अवतरण हुआ। इस दिन वह आद्यगंगा स्नान करने पर दसगुने पाप हर लेती हैं।
ज्येष्ठे मासि क्षितिसुतदिने शुक्लपक्षे दशम्यां हस्ते शैलादवतरदसौ जाह्नवी मर्त्यलोकम् ।
पापान्यस्यां हरति हि तिथौ सा दशैषाद्यगंगा पुण्यं दद्यादपि शतगुणं वाजिमेधक्रतोश्च।।
ब्रह्म पुराण अध्याय 63
शुक्लपक्षस्य दशमी ज्येष्ठे मासि द्विजोत्तमाः। हरते दश पापानि तस्माद्दशहरा स्मृता।।
यस्तस्यां हलिनं कृष्णं पश्येद्भद्रां सुसंयतः। सर्वपापाविनिर्मुक्तो विष्णुलोकं व्रजेन्नरः।।
ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि दस पापों को हरती है इसलिए उसे दशहरा कहा गया है।
उस दिन जो लोग अपनी इन्द्रियों को वश में रखते हुए श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा का दर्शन करते हैं वे सब पापों से मुक्त हो विष्णुलोक जाते हैं।
स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है की
ज्येष्ठस्य शुक्लदशमी संवत्सरमुखी स्मृता।
तस्यां स्नानं प्रकुवर्तीत दानञ्चैव विशेषतः॥
ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष करके करें।
यां काञ्चित् सरितं पाप्य दद्याद्दर्भैस्तिलोदकम्।*
*मुच्यते दशमिः पापैः सुमहापातकोपमैः॥
किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पूजादिक) एवं तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करें। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है।
गंगा दशहरा
16 जून 2024 रविवार को गंगा दशहरा समाप्त ।
*भारतीय संस्कृति में गंगा का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में भी गंगा का देव नदी कहा गया है यानी देवताओं की नदी। गंगा दशहरा के मौके पर हम आपको बता रहे हैं गंगा जल के कुछ आसान उपाय।
अगर परिवार के लोगों में नहीं बनती तो रोज सुबह पूरे घर में गंगा जल छिड़के ।इससे घर की नेगेटिविटी कम होगी और शांति का माहौल बनेगा ।
दक्षिणावर्ती शंख में गंगा जल भर कर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें ।इससे भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होगी ।
परिवार में सुख-समृद्धि चाहते हैं तो पीपल के पेड़ पर रोज गंगा जल चढ़ाएं, क्योंकि पीपल में भगवान विष्णु का वास मना गया है ।
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