दिनांक -19 अगस्त 2024
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा ॠतु
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पूर्णिमा रात्रि 11:55 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – श्रवण रात्रि 08:10 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग – शोभन रात्रि 12:47 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहुकाल – सुबह 07:54 से सुबह 09:30 तक
सूर्योदय -05:29
सूर्यास्त- 06:04
दिशाशूल – पूर्व दिशा मे
व्रत पर्व विवरण –
व्रत पूर्णिमा,श्रावणी पूर्णिमा,नारियली पूर्णिमा,रक्षाबंधन,श्रावणी उपाकर्म,ऋग्वेद -यजुर्वेद-अथर्ववेद उपाकर्म,पूर्णिमांत श्रावण मास समाप्त,संस्कृत दिवस,पंचक (आरंभ :रात्रि 07:00)
विशेष – पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन तिथि
स्कंद पुराण में लिखा है पौष मास की शुक्ल पक्ष की दसमी तिथि, चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की और सावन महिने की पूनम (श्रावणी पूनम- 19 अगस्त 2024 सोमवार) ये दिन लक्ष्मी पूजा के खास उपाय बताये गये हैं |
इन दिनों में अगर कोई आर्थिक कष्ट से जूझ रहा है | पैसों की बहुत तंगी है घर में तो 12 मंत्र लक्ष्मी माता के बोलकर, शांत बैठकर मानसिक पूजा करें और उनको नमन करें तो उसको भगवती लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, लाभ होता है, घर में लक्ष्मी स्थायी हो जाती है | उसके घर से आर्थिक समस्याएं धीरे धीरे किनारा करती हैं |
बारह मंत्र इस प्रकार हैं –
ॐ ऐश्व र्यै नम:
ॐ कमलायै नम:
ॐ लक्ष्मयै नम:
ॐ चलायै नम:
ॐ भुत्यै नम:
ॐ हरिप्रियायै नम:
ॐ पद्मायै नम:
ॐ पद्माल्यायै नम:
ॐ संपत्यै नम:
ॐ ऊच्चयै नम:
ॐ श्रीयै नम:
ॐ पद्मधारिन्यै नम:
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि | मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते ||
द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यय पठेत | स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदाराबिभिस: ||
उसके घर में लक्ष्मी स्थिर हो जाती है | जो इन बारह नामों को इन दिनों में पठन करता है |
रक्षाबंधनः संकल्पशक्ति का प्रतीक
रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि ‘मेरा भाई भगवत्प्रेमी बने।
जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आये। मेरा भाई धीर-गम्भीर हो।
मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहे।’ भाई सोचे कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।’
इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है। (भविष्य पुराण)
रक्षाबंधन के पर्व पर बहन भाई को आयु, आरोग्य पुष्टि की बृद्धि की भावना से राखी बाँधती है। अपना उद्देश्य ऊँचा बनाने का संकल्प लेकर ब्राह्मण लोग जनेऊ बदलते हैं।
समुद्र का तूफानी स्वभाव श्रावणी पूनम के बाद शांत होने लगता है। इससे जो समुद्री व्यापार करते हैं, वे नारियल फोड़ते हैं।
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