दिनांक -15 अगस्त 2024
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा ॠतु
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – दशमी सुबह 10:26 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – ज्येष्ठा दोपहर 12:53 तक तत्पश्चात मूल
योग – वैधृति दोपहर 02:59 तक तत्पश्चात विष्कंभ
राहुकाल – दोपहर 02:19 से शाम 03:56 तक
सूर्योदय -05:28
सूर्यास्त- 06:07
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण-स्वतंत्रता दिवस
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विष्णुपदी-सिंह संक्रांति
जप तिथि : 16 अगस्त 2024 शुक्रवार को (विष्णुपदी संक्रांति)
पुण्यकाल दोपहर 12:31 से सूर्यास्त तक |
विष्णुपदी संक्रांति में किये गये जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है | – (पद्म पुराण , सृष्टि खंड)
एकादशी व्रत के लाभ
15 अगस्त 2024 ,गुरुवार को सुबह 10:26 से 16 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 09:39 तक एकादशी है।
विशेष – 16 अगस्त, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है। परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ।
भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।
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