दिनांक -04 अगस्त 2024
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा ॠतु
मास – श्रावण
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अमावस्या शाम 04:42 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – पुष्य दोपहर 01:26 तक तत्पश्चात अश्लेशा
योग – सिद्धि सुबह 10:38 तक तत्पश्चात व्यतीपात
राहुकाल – शाम 05:38 से शाम 07:16 तक
सूर्योदय -05:24
सूर्यास्त- 06:14
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण-
दर्श अमावस्या,श्रावण अमावस्या,हरियाली अमावस्या,रविपुष्यामृत योग (सूर्योदय से दोपहर 01:26 तक),व्यतीपात योग (सुबह 10:38 से 05 अगस्त सुबह 10:38 तक
विशेष – रविवार, अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
मन पसंद जीवन साथी पाने के लिए और जीवन सुखमय रखने के लिए 07 अगस्त हरियाली तीज पर करले इतना
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
05 अगस्त 2024 रविवार को अमावस्या है।
घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (1 लीटर पानी में 50 ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें ।
इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
समृद्धि बढ़ाने के लिए
कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी।
दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें,जो भी समस्या है हल हो जायेगी।
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