दिनांक – 19 अक्टूबर 2024
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – कार्तिक
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वितीया सुबह 09:48 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र – भरणी सुबह 10:46 तक तत्पश्चात कृत्तिका
योग – सिद्धि शाम 05:42 तक तत्पश्चात व्यतीपात
राहुकाल – सुबह 09:30 से सुबह 10:56 तक
सूर्योदय -05:46
सूर्यास्त- 06:00
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – व्यतीपात योग (पुण्यकाल : शाम 05:42 से 20 अक्टूबर दोपहर 02:12 तक)
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
करवा चौथ का व्रत कब करे 20 या 21 अक्टूबर को, पहली बार व्रत कर सकते है या नही, मासिक धर्म मे व्रत करे या नही
कार्तिक में दीपदान
17 अक्टूबर, गुरुवार से कार्तिक व्रत-स्नान प्रारंभ हो चुका है।
विशेष ~ गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी अश्विन मास है।
महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है दीपदान। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए।
पुराणों में वर्णन मिलता है।
“हरिजागरणं प्रातःस्नानं तुलसिसेवनम् । उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।“ (पद्मपुराण, उत्तरखण्ड, अध्याय 115)
“स्नानं च दीपदानं च तुलसीवनपालनम् । भूमिशय्या ब्रह्मचर्य्यं तथा द्विदलवर्जनम् ।।
विष्णुसंकीर्तनं सत्यं पुराणश्रवणं तथा । कार्तिके मासि कुर्वंति जीवन्मुक्तास्त एव हि ।।” (स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड, कार्तिकमासमाहात्म्यम, अध्याय 03)
पद्मपुराण उत्तरखंड, अध्याय 121 में कार्तिक में दीपदान की तुलना अश्वमेघ यज्ञ से की है :
घृतेन दीपको यस्य तिलतैलेन वा पुनः। ज्वलते यस्य सेनानीरश्वमेधेन तस्य किम्।
कार्तिक में घी अथवा तिल के तेल से जिसका दीपक जलता रहता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ से क्या लेना है।
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