दिनांक – 14 नवम्बर 2024
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी सुबह 09:43 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – अश्वनी रात्रि 12:33 तक तत्पश्चात भरणी
योग – सिद्धि सुबह 11:30 तक तत्पश्चात व्यतीपात
राहुकाल – दोपहर 01:47 से शाम 03:10 तक
सूर्योदय 06:05
सूर्यास्त – 5:46
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण – वैकुण्ठ चतुर्दशी,व्यतीपात योग (दोपहर 11:30 से 15 नवम्बर सुबह 07:30 तक),पंचक (समाप्त:प्रातः 03:11),चतुर्दशी क्षय तिथि
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मार्गशीर्ष मास विशेष
16 नवंबर 2024 शनिवार से मार्गशीर्ष का आरम्भ हो रहा है।
1. मार्गशीर्ष मास में इन तीन के पाठ की बहुत ज्यादा महिमा है ….. विष्णुसहस्त्र नाम ….भगवत गीता…. और गजेन्द्रमोक्ष की खूब महिमा है…खूब पढ़ो …. दिन में 2 बार -3 बार
2. इस मास में ‘श्रीमद भागवत’ ग्रन्थ को देखने की भी महिमा है …. स्कन्द पुराण में लिखा है …. घर में अगर भागवत हो तो एक बार दिन में उसको प्रणाम करना
3. इस मास में अपने गुरु को …. इष्ट को ….”ॐ दामोदराय नमः” कहते हुए प्रणाम करने की बड़ी भारी महिमा है।
4. शंख में तीर्थ का पानी भरो और घर में जो पूजा का स्थान है उसमें भगवान – गुरु उनके ऊपर से शंख घुमाकर भगवान का नाम बोलते हुए वो जल घर की दीवारों पर छाटों …… उससे घर में शुद्धि बढ़ती है…शांति बढ़ती है ….क्लेश झगड़े दूर होते है।
मार्गशीर्ष मास
इस मास में कर्पूर का दीपक जलाकर भगवान को अर्पण करनेवाला अश्वमेघ यज्ञ का फल पाता है और कुल का उद्धार कर देता है ।
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