दिनांक – 15 दिसम्बर 2024
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पूर्णिमा दोपहर 02:31 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – मृगशिरा 16 दिसम्बर रात्रि 02:20 तक) तत्पश्चात आर्द्रा
योग – शुभ 16 दिसंबर रात्रि 02:04 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल – शाम 04:38 से शाम 06:00 तक
सूर्योदय 06:20
सूर्यास्त – 5:18
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – व्रत पूर्णिमा,मार्गशीर्ष पूर्णिमा,षडशीति-धनु संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर 12:22 से सूर्यास्त तक),धनुर्मास प्रारंभ
विशेष- पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
दक्षिण दिशा मे इन्हे भूल से भी नही रखे होती है धन की हानी | दक्षिणाभिमुख घर की महत्वपूर्ण जानकारी
कपूर मिश्रित जल
गो चंदन अगरबत्ती गाय के घी में डुबो के जला देते तो भी गाय के गोबर के कंडे जैसा परिणाम देगा …. कभी मै उस में कपूर भी रख देता…. कभी कभी कपूर मिश्रित जल कमरे में छिटक देना भी हितकारी माना जाता है ….कपूर पानी में डाल के वो पानी कमरे में छिटक दे…..
बलवर्धक
2 से 4 ग्राम शतावरी का चूर्ण गर्म दूध के साथ ३ माह तक सेवन करें इससे शरीर में बल आता है, साथ ही नेत्र ज्योति भी बढ़ती है
सुबह उठते वक्त
सुबह उठकर जो “ॐ ब्रह्मणे नमः” “ॐ ब्रह्मणे नमः” गुरु साक्षात् ब्रह्म स्वरुप है | गुरु का स्मरण करते हुए “ॐ ब्रह्मणे नमः” ऐसा जो मन में बोलता है, और वंदन करता है वो समस्त तीर्थो में स्नान करने और समस्त यज्ञो में भाग लेने का पुण्य प्राप्त करता है |
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