दिनांक – 12 दिसम्बर 2024
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – द्वादशी रात्रि 10:26 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – अश्विनी सुबह 09:52 तक तत्पश्चात भरणी
योग – परिघ शाम 03:23 तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल – दोपहर 01:54 से शाम 03:16 तक
सूर्योदय 06:17
सूर्यास्त – 5:35
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण – अखंड द्वादशी
विशेष- द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 14 या 15 को सत्यनारायण की कथा कब करे | इस दिन पूजन मे इतना जरूर करले घर मे धन और लक्ष्मी की कमी नही, रहेगी
मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी
12 दिसम्बर 2024 गुरुवार को मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी है।
वराहपुराण के अनुसार जो पुरुष नियमपूर्वक रहकर कार्तिक, मार्गशीर्ष एवं बैशाख महीनों की द्वादशी तिथियों के दिन खिले हुए पुष्पों की वनमाला तथा चन्दन आदि को मुझ पर चढ़ाता है, उसने मानो बारह वर्षों तक मेरी पूजा कर ली।
वराहपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष मास में चन्दन एवं कमल के पुष्प को एक साथ मिलाकर जो भगवान विष्णु को अर्पण करता है, उसे महान फल प्राप्त होता है।
अग्निपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष के शुक्लपक्ष की द्वादशी को श्रीकृष्ण का पूजन करके जो मनुष्य लवण का दान करता हैं, वह सम्पूर्ण रसों के दान का फल प्राप्त करता हैं |
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