दिनांक – 14 दिसम्बर 2024
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी शाम 04:58 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – रोहिणी 15 दिसम्बर रात्रि 03:54 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग -सिद्ध सुबह 08:27 तक तत्पश्चात साध्य
राहुकाल – सुबह 09:51 से सुबह 11:12 तक
सूर्योदय 06:20
सूर्यास्त – 5:18
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
विशेष- चतुर्दशी व पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।(पद्म पुराण)
षडशीति – धनु संक्रान्ती
15 दिसम्बर 2024 रविवार को षडशीति संक्रान्ती है।
पुण्यकाल : दोपहर 12:22 से सूर्यास्त तक… जप,तप,ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना है !!!
इस दिन करोड़ काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप – ध्यान, प्रार्थना में लगायें।
षडशीति संक्रांति में किये गए जप ध्यान का फल ८६००० गुना होता है – (पद्म पुराण )
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