दिनांक – 02 दिसम्बर 2024
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमन्त
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा दोपहर 12:43 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – ज्येष्ठा दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात मूल
योग – धृति शाम 04:01 तक तत्पश्चात शूल
राहु काल – प्रातः 08:26 से प्रातः 09:47 तक
सूर्योदय – 07:08
सूर्यास्त – 05:49
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:19 से 06:12 तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:08 से दोपहर 12:51 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 दिसम्बर 03 से रात्रि 12:56 दिसम्बर 03 तक
विशेष – प्रतिपदा को कुम्हड़ा (पेठा) न खाएं क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
दिशा विवेक
पूजा आरती पश्चिम में है तो खुशियाँ दबेंगी । दक्षिण में है तो बिमारी आयेगी ।
तुम्हारी पूजा की दिशा पूर्व या उत्तर में हो तो स्थिति उन्नत होगी ।
पूजा की दिशा उत्तर में है तो आध्यात्मिक उन्नति होगी, पूर्व में है तो लौकिक उन्नति होगी ।
गुरूमंत्र है तो दोनों में आध्यात्मिक और लौकिक उन्नति होगी ।
तो देख लेना की आरती की दिशा, पूजा करते तो आपकी दिशा पश्चिम की तरफ तो नहीं, होगी तो बदल देना । सत्संग से कैसा ज्ञान मिलता है ।
सोते समय पश्चिम में सिर रहेगा तो चिंता पीछा नहीं छोड़ेगी, उत्तर में सिर करते हैं तो बिमारी पीछा नहीं छोड़ेगी । सोते समय सिरहाना पूरब की तरफ अथवा दक्षिण की तरफ हो ।
विद्यार्थी कमजोर हो तो..
जो बच्चे पढ़ने में कमजोर रहते हो न, वे बच्चे, कच्चा दूध हो उसमें मिश्री पाऊडर मिला दें, या शहद मिला दें, अच्छी तरह से घोल दें ।
उस से, बच्चे जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें, वो शिवजी पर चढ़ाएं, फिर जल चढ़ाएँ, बेल-पत्र रख दें, दिया जला दें । थोड़ी देर उधर बैठ के जप करें । तो वो बच्चे पढ़ने में बड़े होशियार, प्रतिभावान होंगे ।
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