दिनांक – 25 जनवरी 2025
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर ॠतु
मास – माघ
पक्ष – कृष्ण
तिथि – एकादशी रात्रि 08:31 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र – ज्येष्ठा पूर्ण रात्रि तक
योग – ध्रुव 26 जनवरी प्रातः 04:38 तक तत्पश्चात व्याघात
राहुकाल – सुबह 10:04 से सुबह 11:28 तक
सूर्योदय 06:29
सूर्यास्त – 05:20
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – षटतिला एकादशी
विशेष- हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है। जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
27 जनवरी को एक साथ तीन दुर्लभ योग जो देंगे महा पुण्य
षट्तिला एकादशी
25 जनवरी 2025 शनिवार को षट्तिला एकादशी है।
इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन तिल का उपयोग 6 कामों में करने का विधान है।
ये 6 काम इस प्रकार हैं-
तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।
तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।
अर्थात- इस दिन तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिले जल को पीने, तिल का भोजन तथा तिल का दान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।
तिल का इन 6 कामों में करें उपयोग, होंगे ये फायदे
- तिल मिले जल से स्नान
ठंड के मौसम में त्वचा रुखी हो जाती है। तिल मिले पानी से स्नान करने से त्वचा चमकदार व कोमल हो जाती है। - तिल का उबटन
तिल का उबटन लगाने से त्वचा संबंधी रोग अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं। - तिल मिला जल पीना
तिल मिला पानी पीने से पाचन तंत्र व्यवस्थित होता है। अनिद्रा में भी राहत मिलती है। - तिल का भोजन
ठंड के मौसम में तिल से बनी चीजें खाने से शरीर को पर्याप्त गर्मी व ऊर्जा मिलती है। - तिल का दान
तिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु अपने भक्त पर प्रसन्न होते हैं। - तिल का हवन
तिल का हवन करने पर वायुमंडल सुगंधित होता हैं।
विशेष – सूर्यास्त के बाद कोई भी तिलयुक्त पदार्थ नहीं खाना चाहिए।(मनु स्मृतिः 4.75)
षट्तिला एकादशी
षट्तिला एकादशी के दिन | स्नान, उबटन जिसमे तिल पड़ा हो | तिल डाला हुआ पानी लेना, तिल मिश्रित भोजन करना, तिल का दान करना, तिल का होम करना ये पापनाशक प्रयोग है |
षटतिला एकादशी
इन 6 कामों में करें तिल का उपयोग
षटतिला एकादशी व्रत मेंg तिल का छ: रूपों में उपयोग करना उत्तम फलदाई माना जाता है। जो व्यक्ति जितने रूपों में तिल का उपयोग तथा दान करता है, उसे उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। षटतिला एकादशी पर 6 प्रकार से तिल के उपयोग तथा दान की बात कही है, वह इस प्रकार है-
तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।
तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।
अर्थात- इस दिन तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिले जल को पीने, तिल का भोजन तथा तिल का दान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन हमें पद्मपुराण के ही एक अंश का श्रवण और ध्यान करना चाहिए। इस दिन काले तिल व काली गाय दान करने का विशेष महत्व है।
इसे भी पढ़ें
ll वैदिक पंचांग ll दिनांक – 24 जनवरी 2025 [l Vedic Almanac l Date – 24 January 2025]