नई दिल्ली,एजेंसियां। घिबली आर्ट, जो जापान के प्रसिद्ध एनिमेशन स्टूडियो घिबली से जुड़ी है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक नए ट्रेंड के रूप में वायरल हो रही है। इस स्टाइल में बनाए गए चित्र, जिनमें हल्के पेस्टल रंग और सादगी होती है, को अब एआई की मदद से कुछ ही सेकंड्स में तैयार किया जा रहा है। यह कला पहले जापानी एनिमेटर हयाओ मियाजाकी द्वारा हाथ से बनाई जाती थी, जिसे अब चैटजीपीटी और अन्य एआई टूल्स से तैयार किया जा रहा है।
बिल्ट-इन इमेज जेनरेशन फीचर को किया लॉन्च
चैटजीपीटी ने हाल ही में अपने बिल्ट-इन इमेज जेनरेशन फीचर को लॉन्च किया, जिससे एआई अब घिबली स्टाइल की तस्वीरें बनाने में सक्षम है। इस ट्रेंड ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है, जहां यूजर्स बॉलीवुड फिल्मों, सेलिब्रिटीज, और यहां तक कि अपनी खुद की तस्वीरों को घिबली आर्ट में बदलते दिख रहे हैं। इस तेजी से बढ़ते ट्रेंड ने चैटजीपीटी के सिस्टम को ओवरलोड कर दिया और प्लेटफॉर्म क्रैश भी हो गया।
क्यों आ रहा कॉपीराइट का मसला?
हालांकि, इस तकनीकी विकास के साथ एक बड़ा विवाद भी जुड़ गया है: एआई द्वारा घिबली स्टाइल की तस्वीरें बनाने पर कॉपीराइट का मसला। कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ओपनएआई की गतिविधियां कानूनी रूप से एक “ग्रे जोन” में आती हैं, क्योंकि घिबली आर्ट को पूरी तरह से कॉपीराइट से सुरक्षा नहीं मिली है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या एआई ने घिबली जैसे कार्यों को प्रशिक्षित करने के लिए सही तरीके से इस्तेमाल किया है।
इस मुद्दे पर स्टूडियो घिबली के संस्थापक हयाओ मियाजाकी की कड़ी प्रतिक्रिया आई थी। उन्होंने एआई द्वारा कला बनाने को “जीवन का अपमान” करार दिया था। उनके अनुसार, कला का असली सार इंसान के अनुभव और संवेदनाओं में छिपा होता है, जो एआई से संभव नहीं है।
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