Kanwar Yatra:
नई दिल्ली, एजेंसियां। सावन के महीने में हर साल लाखों शिवभक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। यह यात्रा सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि तप, संयम, श्रद्धा और संकल्प की परीक्षा होती है। गंगाजल लेकर पैदल चलकर भगवान शिव का अभिषेक करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है, लेकिन कई बार भक्त अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो पुण्य की जगह पाप का कारण बन जाती हैं। ऐसे में जरूरी है कि यात्रा के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाए।
Kanwar Yatra: कांवड़ को जमीन पर न रखें
कांवड़ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण नियम है कि कांवड़ को कभी भी सीधे जमीन पर न रखें। यदि विश्राम करना हो, तो उसे किसी स्टैंड या ऊँचे स्थान पर रखें। जमीन पर रखने से यात्रा का पुण्य समाप्त हो सकता है।
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Kanwar Yatra: संयम और पवित्रता बनाए रखें
शारीरिक या मानसिक रूप से अशांत व्यक्ति—जैसे क्रोधित, लालची, झूठ बोलने वाला या द्वेषी—को यह यात्रा नहीं करनी चाहिए। ब्रह्मचर्य, शुद्ध आचरण और सच्ची भक्ति से की गई यात्रा ही फलदायक मानी जाती है।
Kanwar Yatra: तामसिक चीजों से दूरी बनाए रखें
यात्रा के दौरान शराब, मांसाहार, तंबाकू, गाली-गलौज जैसी चीजें पूरी तरह वर्जित हैं। ये भगवान शिव की भक्ति का अपमान करती हैं और यात्रा के आध्यात्मिक फल को नष्ट कर देती हैं।
Kanwar Yatra: अहंकार और दिखावे से बचें
आजकल कई लोग कांवड़ यात्रा को सोशल मीडिया शो बनाने लगे हैं, जो गलत है। यह यात्रा नम्रता और श्रद्धा की प्रतीक है। दिखावे, फोटो-वीडियो और ट्रैफिक जाम करके दूसरों को परेशान करना पुण्य नहीं बल्कि दोष का कारण बनता है।
Kanwar Yatra: अनुशासन और सहनशीलता रखें
कांवड़ यात्रा एक सामूहिक धार्मिक यात्रा है, इसमें अनुशासन और सभी के प्रति सम्मान बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। यह तभी पवित्र और सफल मानी जाती है जब इसे श्रद्धा, शांति और सहयोग से पूरा किया जाए।
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