Amit Shah:
नई दिल्ली, एजेंसियां। गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में पूर्व आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री की पुस्तक ‘मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं’ के विमोचन के दौरान कहा कि भारत में जल्द ही ऐसा समाज बनेगा जहां अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म महसूस होगी। उन्होंने भारतीय भाषाओं को देश की आत्मा और सांस्कृतिक पहचान बताया और कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी भाषाई विरासत को गर्व से अपनाएं।
शाह ने बताया कि विदेशी भाषाओं से भारत की संस्कृति, इतिहास और धर्म की पूरी समझ संभव नहीं है। उन्होंने ‘पंच प्रण’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह 130 करोड़ भारतीयों का संकल्प है, जो 2047 तक भारत को विश्व के शीर्ष पर पहुंचाएगा, जिसमें भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
Amit Shah: अमित शाह ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा
अमित शाह ने प्रशासनिक अधिकारियों की ट्रेनिंग प्रणाली में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि वर्तमान प्रशिक्षण में सहानुभूति की कमी है, जो ब्रिटिश कालीन सोच का परिणाम है। साथ ही, उन्होंने साहित्य की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि अंधकार के युग में भी साहित्य ने धर्म और संस्कृति की लौ जलाए रखी है। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी किसी ने हमारी संस्कृति को छूने की कोशिश की, समाज ने उसका विरोध किया, क्योंकि साहित्य समाज की आत्मा है। अमित शाह के इस भाषण ने देश में भारतीय भाषाओं को पुनः सम्मान और प्रोत्साहन देने का संदेश दिया।
इसे भी पढ़ें
Manipur: गृह मंत्री अमित शाह के बेटे ने मांगे मणिपुर विधायकों से चार करोड़, जानिए क्या है मामला