Citizenship loss India
नई दिल्ली, एजेंसियां। हर साल विदेश में बसने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार, 2011 से 2024 के बीच 20 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। खास बात यह है कि पिछले 5 सालों में ही करीब 9 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता त्यागी, जो इस ट्रेंड में तेज उछाल को दर्शाता है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि बेहतर जीवन स्तर, अच्छी नौकरी और उच्च शिक्षा के अवसर नागरिकता छोड़ने की प्रमुख वजहें हैं।
2021 के बाद तेजी से बढ़े आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2021 के बाद नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई।
- 2022 में रिकॉर्ड 2.25 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी।
- 2023 में यह संख्या 2.16 लाख रही।
- 2024 के आधिकारिक आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं, लेकिन अनुमान है कि यह संख्या और बढ़ सकती है।
पुराने वर्षों का ट्रेंड
2011 में जहां 1.22 लाख लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी, वहीं 2013 और 2015 में यह आंकड़ा 1.31 लाख से ऊपर पहुंच गया। बीच के कुछ वर्षों में हल्की गिरावट जरूर आई, लेकिन कुल मिलाकर ट्रेंड बढ़ता ही रहा।
विदेश में रहने वाले भारतीयों की शिकायतें
विदेशों में बसे भारतीयों से जुड़ी समस्याएं भी सामने आई हैं। पिछले तीन वर्षों में 9.45 लाख शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से अधिकतर ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड धारकों से संबंधित थीं।
2024-25 के दौरान विदेश मंत्रालय को 16,127 शिकायतें मिलीं, जिनमें CPGRAMS और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए दर्ज मामले शामिल हैं।
किन देशों से सबसे ज्यादा शिकायतें
शिकायतों के मामले में सऊदी अरब शीर्ष पर रहा, इसके बाद यूएई, मलेशिया, अमेरिका, ओमान, कुवैत, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और कतर जैसे देश शामिल हैं।
चिंता का विषय
विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ता ब्रेन ड्रेन और कुशल युवाओं का पलायन भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है, जिस पर दीर्घकालिक नीति की जरूरत है।



