पत्थर खादान मालिकों से रॉयल्टी के अंतर की राशि की वसूली के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती रांची। झारखंड के पत्थर खदान के लीज धारकों मे रॉयल्टी के अंतर की राशि वसूली के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले लीजधारकों को वसूली के मुद्दे पर दंडात्मक कार्रवाई से राहत के लिए अपील की अनुमति दी है। साथ ही जुलाई के अंतिम सप्ताह में सुनवाई का फैसला किया है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर न्यायाधीश अभय एस ओका और न्यायाधीश उज्जवल भुयान की पीठ में सुनवाई हुई। न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। साथ ही यह निर्देश भी दिया कि अगर हाईकोर्ट के फैसले के आलोक में सरकार के स्तर से कोई दंडात्मक कार्रवाई हुई तो राहत के लिए अपील दायर कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई जुलाई के अंतिम सप्ताह में होगी।
क्या है मामला
राज्य के लघु खादान के 119 लीजधारकों की ओर से हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गयी थी। संबंधित याचिकाएं वर्ष 2022 से 2024 की अवधि में दायर की गयी। हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायाधीश अरुण कुमार राय की पीठ ने इन सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ की। क्योंकि सभी याचिकाओं में उठाये गये बिंदु और न्यायालय से हस्तक्षेप के अनुरोध में समानता थी। न्यायालय ने इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सरकार द्वारा पत्थर खदान मालिकों पर बढ़े हुए रॉयल्टी के अंतर, इंवायरमेंटल सेस और आयकर जमा करने के आदेश को वैध ठहराया। हाईकोर्ट ने 23 सितंबर 2025 को दिये गये अपने फैसले में सरकार द्वारा लघु खनिजों पर रॉयल्टी के रेट को बढ़ाने को भी वैध करार दिया था। सरकार ने जेएमएमसी रूल में 2019 में संशोधन कर बोल्डर पर रॉयल्टी दर को 132 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर से बढ़ा कर 250 रुपये कर दिया था।