पिस्का नगड़ी। केंद्रीय तसर अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान नगड़ी, रांची में राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस मनाया गया।
डॉ एनबी चौधरी, (निदेशक, केंद्रीय तसर अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान नगड़ी,रांची) ने संस्थान व अधीनस्थ केन्द्रों के वैज्ञानिकों, अधिकारियों, कर्मचारियों से अपील की कि राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के उपलक्ष्य में “हस्तकरघा उत्पाद की तरफ व्यापक ध्यान आकर्षित करने हेतु” प्रमोशनल कार्यक्रम आयोजित करें। क्योंकि तसर उद्दोग में हस्तकरघा एक प्रमुख अवयव है।
निदेशक ने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद है कि हैंडलूम प्रोडक्ट्स और इन्हें बनाने वाले कारीगरों को बढ़ावा देना।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार वर्ष 1905 में लार्ड कर्ज़न ने बंगाल के विभाजन की घोषणा की इसी दिन कोलकाता के टाउनहॉल में एक महा जनसभा से स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इसी घटना की याद में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है।
7 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री ने इस दिन की शुरुआत की थी। तब से हर साल इस दिन को मनाया जाता है। इसी क्रम में 7 अगस्त 2024 को 10वां हैंडलूम-डे मनाया गया। यह हैंडलूम क्षेत्र के आर्थिक महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
इसकी शुरुआत हथकरघा बुनकरों और शिल्पकारों को पहचानने और रोजगार देने की एक परियोजना के रूप में हुई। इस दिन देश भर में विभिन्न समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें हथकरघा मेले और प्रदर्शनियाँ, शामिल हैं।
इस वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के दिन संस्थान में समर्थ योजना के तहत तसर धागाकरण एवं बुनाई से जुड़े लोगों हेतु कार्यक्रम आयोजित किया गया।
साथ ही वैज्ञानिक आशु कुमार ने तसर रेशम उद्योग के विभिन्न पहलुओं में हथकरघा की सम्यकता के बारे में प्रकाश डाला।
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