Sunday, July 27, 2025

नरेंद्र मोदी को भी आता है गुस्सा, जानिये पीएम के कुछ अनछुये पहलू

रांची। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी आज संभवतः दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में एक हैं।

देश-विदेश में उनके करोड़ों चाहने वाले हैं। भारत में महिलाएं और बच्चे उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते हैं।

वह जितने सफल राजनीतिज्ञ हैं, उतने ही कुशल प्रशासक भी। उनकी दूरदर्शिता की हर कोई दाद देता है।

शायद यही कारण है कि एक छोटी सी चाय की दुकान से अपना सफर शुरू कर वह प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गये।

आज सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी भी उनके इस रोमांचक सफर के बारे में जानना चाहता हैं।

पर अभी तक प्रधानमंत्री के ज्यादातर पहलू अनछुये ही हैं। कहने का मतलब कि लोग उनकी बीती जिदंगी के बारे में उतना ही जानते हैं, जितना कि बताया गया है।

पर दो साल पहले सिने स्टार अक्षय कुमार को दिये एक इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई राज खोले थे।

पर इसे भी पूरा नहीं माना जा सकता। दरअसल, पीएम मोदी की एक खासियत है, खुद को हमेशा ही समय के साथ अपडेट रखना।

शायद यही उनकी सफलता की कुंजी भी है। जीवन के हर मोड़ पर उन्होंने खुद को तपाया और ढाला है।

आज हम इससे भी आगे बढ़कर पीएम मोदी के उन अनछुये पहलुओं पर नजर डालेंगे, जिन्हें कोई जानता नहीं।

तो बात सबसे पहले कि क्या नरेंद्र मोदी को गुस्सा आता है। इस मामले में पीएम मोदी का खुद ही कहना है कि उन्हें गुस्सा करने के लिए वक्त ही नहीं मिलता।

इतने लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहते उन्हें कभी गुस्सा व्यक्त करने का अवसर नहीं मिला।

हालांकि वह मानते हैं कि वह सख्त हैं और अनुशासित हैं लेकिन कभी किसी को नीचा दिखाने का काम नहीं करते।

वह अक्सर कोशिश करते हैं कि किसी काम को कहा तो उसमें खुद इन्वॉल्व हो जायें। वह सीखते भी हैं और सिखाते भी। वह टीम बनाकर काम करने में यकीन रखते हैं।

नरेंद्र मोदी की फैमिली बैकग्राउंड की बात की जाये, तो घर के सभी छोटे-मोटे काम कर जीवन यापन करते हैं।

वह खुद भी चाय की दुकान चलाते थे। पार्टी के प्रति समर्पित थे, लेकिन कभी उनके मन में प्रधानमंत्री बनने का ख्याल तक नहीं आया था।

हालत ये थी कि यदि उन्हें छोटी-मोटी नौकरी भी मिल जाती, तो उनकी मां पूरे गांव को गुड़ खिलाने का सपना देखती थी।

बचपन में किताबें पढ़ने में उनकी रुचि थी। वह बड़े बड़े लोगों की जीवनी पढ़ते थे। कभी फौज वाले आस पास से निकलते थे, तो बच्चों की तरह खड़े होकर उन्हें सेल्यूट करते थे।

अपने परिवार को लेकर मोदी की सोच काफी स्पष्ट है। उनका कहना है कि जब तक मां थी, वह चाहती थी कि वह साथ रहें।

पर जिम्मेदारियों की वजह से ये संभव नहीं हो पाया। वह सुबह से शाम तो दफ्तर में काम करते थे। देर रात घर लौटते थे।

वह चाहते थे कि मां साथ ही आकर रहे। पर उनकी मां ने उनकी व्यस्तता देखकर मना कर दी। कहा कि तुम्हारे घर में आकर किसके साथ बात करूंगी’।

एक दिन मां ने कहा कि वह उसके पीछे अपना समय खराब न करे। अब मां तो दुनिया में नहीं हैं, पर पीएम की नजरो में, यादों में हर समय मां की छवि रहती है।

पीएम मोदी कितने अनुशासित हैं, यह तो पूरी दुनिया जानती है। लोग उनके अनुशासन की मिसाल देते हैं।

कहा जाता है कि जब वह किसी से मिलते हैं, तो उनका कोई फोन नहीं आता, क्योंकि लोगों को पता है कि उन्हें कब फोन करना है और वह कब फोन उठाते हैं।

निय़मित रूप से सुबह 4 बजे उठ कर देर रात तक काम करनेवाले मोदी के जीवन के सीखने के लिए काफी कुछ है।

मोदी से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जो काफी कुछ बताती हैं। यह बात पुरानी है, पर आज भी प्रासंगिक है।

यह अनौपचारिक बातचीत नरेंद्र मोदी की बनावट के कुछ अनकहे पहलुओं पर रोशनी डालती है। तब मोदी दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री थे और विधानसभा चुनाव करीब थे।

एक बार कुछ मीडिया के वरिष्ट लोग उनसे मिलने मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। उन्होंने मोदी से पूछा कि आप इतने बडे़ सरकारी घर में अकेले रहते हैं। आप पर काम का काफी दबाव रहता है।

नतीजे में आपने अभी तक एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली है। आप लगातार ऑनलाइन और ऑफलाइन घंटो काम करते हैं।

ऐसे में आप परिवार के किसी सदस्य को अपने साथ क्यों नहीं रख लेते, ताकि वह आपके खानपान, विश्राम आदि का ध्यान रख सके।

मोदी का जवाब समझने लायक था। यह जवाब बताता है कि वे अपनी छवि के प्रति कितने सतर्क रहते हैं।

उन्होंने जवाब दिया- मोरारजी देसाई कितने कट्टर नैतिकतावादी थे। उन्होंने प्रधानमंत्री निवास में बेटे कांति देसाई को साथ रखा।

इसके कारण मोरारजी की छवि पर कैसे आंच आई। इसलिये मैं किसी को साथ नहीं रखता। मैने अपने परिवार वालों को साफ कह रखा है कि वे कभी भी मेरे मुख्यमंत्री निवास में पांव न रखें।

उन्हें जब भी मेरी जरूरत हो, मुझे फोन करें, मैं उनके पास दौड़ा चला आउंगा। उन्हें मेरे पास आने की जरूरत नहीं।

आयें तो लोग उनके साथ फोटो खींचकर, नजदीकी दिखाकर दुरूपयोग करने का प्रयास कर सकते हैं, अनावश्यक विवाद खडे़ हो सकते हैं।

मोदी बोले- जहां तक मेरी देखभाल का सवाल है, इसके लिये मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं। मैं अपना ध्यान खुद रख सकता हूं।

रोजाना 24 घंटे में से लगभग दो तिहाई समय काम करता हूं। फिर भी मेरी दिनचर्या सुव्यवस्थित है। मैं खानपान और फिटनेस का पूरा ध्यान रखता हूं।

इसलिये आपने मेरे बीमार पडने की खबरें नहीं सुनी होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिले संस्कार और प्रशिक्षण ने मुझे स्वावलम्बी बनाया है।

सांसारिक जीवन में आमतौर पर होने वाली अपेक्षाएं भी मुझ में नहीं हैं। अच्छे वस्त्र विन्यास का, सुशोभन दिखने का शौक जरूर है।

परिवार का हालचाल पूछने पर मोदी ने बताया कि जिस कमरे में बैठकर हम बात कर रहे हैं, उतने से कमरे में मेरी मां रहती है।

वो आज भी दस-बीस रूपये वाली हवाई चप्पल पहनती है। मेरे उस घर में फर्नीचर के नाम पर एक प्लास्टिक की कुर्सी है। भाईबंद अपने छोटे-मोटे काम धंधे से गुजारा करते हैं।

तब मीडियाकर्मियों ने कहा कि , अभी तक हम जितने भी मुख्यमंत्रियों के निवास पर गये, वहां काफी तामझाम देखा।

नेताओं, कार्यकर्ताओं, अफसरों, कर्मचारियों आदि का जमावड़ा देखा। लेकिन आपके मुख्यमंत्री निवास पर ऐसा कुछ नहीं दिखा, बल्कि एकदम उलट नजारा दिखा।

इस निवास के बाहरी प्रवेश द्वार से लेकर भीतर तक बहुत ही कम अधिकारी-कर्मचारी दिखे। नेता, कार्यकर्ता वगैरह तो नजर ही नहीं आये।

इस बडे़ फर्क की कोई खास वजह?। इस पर मोदी बोले- अपने पास उतने ही चुनिंदा अधिकारी-कर्मचारी रखता हूं, जितने की वाकई जरूरत है।

नेता, कार्यकर्ता, अफसर आदि जो भी मिलने आते हैं, उन्हें बात होते ही यहां से रवाना कर देता हूं। काम होने के बाद किसी को यहां रूके रहने नहीं देता।

रूके रहे तो फोटो खींचकर नजदीकी दिखाकर बेजा इस्तेमाल करने की आशंका रहती है। आपने मुख्यमंत्री निवास में छाई सन्नाटे की स्थिति की खास वजह पूछी तो उसका जवाब यह है कि अगर आप चापलूसों से घिरे रहते हैं तो वो आपका यशोगान करने में आपका मूल्यवान समय बर्बाद करते हैं और आपको जमीनी हकीकत का अहसास नहीं होने देते।

आप चापलूसों से जितना दूर रहेंगे, उतने ही जमीन से जुडे़ रहेंगे। चापलूसों से दूर रहने से आपका कीमती वक्त बचता है।

मैं यही करता हूं। इसी कारण मेरे पास पर्याप्त समय होता है, जिसे मैं कम्प्यूटर पर बिताता हूं। इससे मुझे रोजाना काम की काफी जानकारियां भी मिलती हैं।

हमने कहा, आप हम करीब पौने घंटे से बात कर रहे हैं। इस दौरान न आपके पास कोई फाइल आई, न आपके फोन की घंटी बजी और न ही कोई स्टाफ किसी काम से भीतर आया।

जबकि दूसरे मुख्यमंत्रियों के यहां ऐसा नहीं होता। उनसे इतनी लंबी बातचीत के दौरान बीच-बीच में किसी न किसी रूप में व्यवधान आते रहते हैं। यह बड़ा अंतर कैसे। ?

क़्वालिटी टाइम देने पर विश्वास करते है मोदी

मोदी बोले- मैं जिनसे भी मिलता हूं, उन्हें अपना क्वालिटी टाइम देता हूं। बातचीत के दौरान सिर्फ मैं और वो ही होते हैं, और कोई नहीं।

इससे दोनों के बीच विचारों का आदान-प्रदान पूर्णतः हो पाता है। इससे उन्हें भी संतोष मिलता है और मुझे भी।

इसलिये मैने स्टाफ को कह रखा है कि जब मैं किसी से भेंट करूं, तब कोई फोन, फाइल या व्यक्ति हमारे बीच नहीं आना चाहिये।

मीडियावालों ने कहा, कि कुछ लोग आपको अड़ियल क्यों मानते हैं? आपके कपडों पर भी सवाल उठाते हैं।

मोदी ने सहज भाव से स्वीकार किया-हां, मैं एरोगेंट हूं और हूं तो हूं। इसके अलावा और कोई आरोप मुझ पर चिपकता ही नहीं।

भ्रष्ट या अनैतिक होने का आरोप तो कोई लगाता भी नहीं। ताजा मिसाल देखिये, जो बताती है कि मुख्य विपक्षी दल के पास मुझ पर आरोप लगाने के लिये क्या सामान बचा है।

हाल में कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में अहमदाबाद में कांग्रेस का बडा सम्मेलन हुआ।

उसमें मुझ पर सबसे बड़ा आरोप यह लगाया गया कि मोदी के पास 250 जोड़ी कुर्ते-पायजामे हैं। और तो कोई आरोप उनको सूझा ही नहीं।

मैने भी सार्वजनिक रूप से इस आरोप को सहर्ष स्वीकार किया, साथ में यह भी कहा कि कांग्रेस नेताओं ने 50 के आगे 2 का आंकड़ा या 25 के बाद शून्य गलती से लगा दिया है।

दिखावटी सुरक्षा नही होती है कारगर

अचानक मीडियावालों ने पूछ दिया कि आपके मुख्यमंत्री निवास का प्रवेश द्वार मालूम नहीं था। सो, दो गेट पर भटकने के बाद हम प्रवेश द्वार पर पहुंचे।

तीनों गेट पर हमें किसी ने रोका-टोका नहीं। तीनों जगह मात्र दो-दो सुरक्षाकर्मी खडे़ दिखे। उनके पास भी कोई खास हथियार नहीं थे।

मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर सांकेतिक अवरोधक लगा था। वहां कार रोकने पर बिना वर्दी वाले शख्स ने सिर्फ नाम पूछा और बेरिकेड हटा दिया।

गाड़ी की कोई जांच नहीं हुई। अन्य मुख्यमंत्रियों से मिलने जाने पर उनके निवास पर तैनात सुरक्षाकर्मी आगंतुक रजिस्टर में देखते हैं कि मिलने वालों की सूची में हमारा नाम है या नहीं।

फिर कार की पूरी जांच करके ही अंदर जाने देते हैं पर यहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मुख्य प्रवेश द्वार पर भी मेटल डिटेक्टर और सुरक्षा का तामझाम नहीं दिखा। ऐसा क्यों, जबकि आपको जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है।

मोदी बोले- दिखाई देने वाली सुरक्षा व्यवस्था से बचाव सुनिश्चित होता है क्या। आतंकी हमले के कितने नये तरीके आ गये हैं।

उनके आगे दिखावटी सुरक्षा कारगर नहीं होती भाई। इंदिरा गांधी को तो उन्हीं के सुरक्षा गार्डों ने प्रधानमंत्री निवास में ही मार डाला।

उनके बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सर्वोच्च सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद कैसे सरे आम बम से उड़ा दिया गया।

मोदी के इस जवाब से साफ हुआ कि वे अदृश्य सुरक्षा व्यवस्था पर ज्यादा भरोसा करते हैं। ऐसे हैं पीएम मोदी। जो भी उनसे मिलता है, उनकी सादगी के कारण उनका मुरीद हो जाता है।

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