एनडीए के बैठक में पीएम के संबोधन बीजेपी नहीं, एनडीए पर फोकस
नई दिल्ली एजेंसियां। एनडीए की बैठक में नरेंद्र मोदी बोले और खूब बोले। ऐसा बोले की लगातार तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देती रही।
हालांकि उनके आज के संबोधन में बीजेपी कम और एनडीए की प्रमुखता रही। उन्होंने कहा कि सरकार चलाने के लिए बहुमत आवश्यक है, लेकिन देश चलाने के लिए सर्वमत बहुत जरूरी होता है।
देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि आपने जिस तरह से बहुमत देकर दायित्व दिया है उसके लिए हम सर्वमत से साथ चलेंगे।
जब तालियों की गड़गड़ाहट के बाद बात शुरू की तो अंत में भी एनडीए से किया। पूरे भाषण में बीजेपी के बदले एनडीए पर फोकस रहा।
समावेशी मोदी ने पार्टी के बदले अलायंस को आगे रखा। उन्होंने कहा कि लोगों ने एनडीए को 22 राज्यों में सरकार बनाकर सेवा का मौका दिया।
हमारा ये अलायंस सच्चे अर्थ में भारत की असली स्पिरिट का प्रतिबिंब है। प्री-पोल अलायंस हिंदुस्तान के इतिहास में इतना सफल कभी नहीं हुआ है, जितना एनडीए हुआ है।
सरकार चलाने के लिए बहुमत आवश्यक है, लेकिन देश चलाने के लिए सर्वमत बहुत जरूरी होता है।
देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि आपने जिस तरह से बहुमत देकर दायित्व दिया है उसके लिए हम सर्वमत से साथ चलेंगे।
एनडीए को करीब-करीब तीन दशक हो चुके हैं। आजादी के 75 साल में तीन दशक की यात्रा बहुत बड़ी मजबूती का संदेश देती है।
हमारा अलायंस तीन बार पांच साल का टर्म पूर कर चुका है। एनडीए सत्ता चलाने का जमावड़ा नहीं है, ये राष्ट्रप्रथम की मूल भावना से बना समूह है।
प्रकाश सिंह बादल, बाला साहब ठाकरे, जॉर्ज फर्नांडिस जैसे अनगिनत नेताओं ने जिस पेड़ को सींचा था वो वटवृक्ष बन चुका है।
अगले 10 साल में गुड गवर्नेंस पर फोकस
मोदी ने अगले दस साल में गुड गवर्नेंस पर फोकस किया। सबका प्रयास पर फोकस किया। मोदी ने कहा कि उनके लिए सदन में सभी पार्टी के सदस्य उनके लिए समान है।
अपना पराया कुछ भी नहीं है। सबको गले लगाने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी है। आदिवासी और ईसाई बहुल इलाकों में एनडीए के अच्छे प्रदर्शन का मोदी ने जिक्र किया।
तमिलनाडु में बढ़े वोट शेयर पर मोदी का खास फोकस था। मोदी के मुताबिक इसमें भविष्य की तस्वीर छिपी हुई है।
केरल में संघ से जुड़े लोगों पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि हम वहां कभी नहीं जीते, लेकिन आज पहली बार संसद में हमारा सदस्य बैठा है।
मोदी के संबोधन में एक भी भावनात्मक मुद्दों का जिक्र नहीं हुआ। ऐसे में एकनाथ शिंदे की बात का जिक्र जरूरी है।
उन्होंने कहा कि एनडीए फेविकोल की तरह एकजुट रहेगा। पर, महाराष्ट्र में ही कई सीटों पर हार के लिए आपस में रार है।
केंद्र में एकजुट रह पाना कितना मुश्किल होता है ये आगे पता चलेगा।
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