Mayank Singh:
रांची। अमन साहु गैंग से जुड़े सुनील मीणा उर्फ मयंक सिंह ने ATS रिमांड के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जानकारी के मुताबिक, मयंक ने बताया कि गैंग ने रंगदारी के पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने के लिए किया और ये सौदे पाकिस्तान के एजेंटों के माध्यम से किए जाते थे। इन सबके बीच में था कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई। लॉरेंस विश्नोई ही वो जरिया था, जिसके जरिए अमन साहु के लिए पाकिस्तान से हथियार मंगवाने का रास्ता खुला।
उग्रवादी संगठनों को हथियार सप्लाई होती थीः
मयंक सिंह ने दावा किया कि अमन साहु गैंग का नेटवर्क न केवल लॉरेंस विश्नोई गैंग से जुड़ा है, बल्कि इसके संबंध कई उग्रवादी संगठनों और अन्य आपराधिक गिरोहों से भी हैं। लॉरेंस विश्नोई के जरिए पाकिस्तान से मंगवाये गये हथियार उग्रवादियों को सप्लाई की जाती थी। इससे भी गैंग को मोटी आय होती थी।
कोर्ट में पेशी के बाद रामगढ़ जेल भेजा गया मयंकः
6 दिनों की ATS रिमांड खत्म होने के बाद मयंक सिंह को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में रामगढ़ जेल भेज दिया गया। रिमांड के दौरान उसने बताया कि गैंग कोयला व्यापारी, ठेकेदार, ट्रांसपोर्टर और जमीन कारोबारियों से रंगदारी वसूलता है। हालांकि वसूली की सटीक रकम उसे नहीं बताई जाती थी। उसका काम सिर्फ हथियार खरीद की डीलिंग करना था।
झारखंड से यूरोप, फिर पाकिस्तान: हथियार सप्लाई का हवाला रूट
एटीएस सूत्रों की मानें, तो अमन साहु गैंग झारखंड से वसूले गए पैसे को हवाला के जरिये यूरोप भेजता था, जहां से वह फंड मलेशिया और थाईलैंड में घूमते रहने वाले मयंक सिंह तक पहुंचता था। मयंक फिर पैसा मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के “पाक-पंजाब” रेस्टोरेंट में काम करने वाले एक व्यक्ति को देता था।
इसके बाद वह रेस्टोरेंट कर्मी रकम को पाकिस्तान में मौजूद हथियार डीलर एजेंट को ट्रांसफर करता था। पैसा मिलने पर एजेंट अपने और लॉरेंस गैंग के नेटवर्क के जरिए भारत में अमन साहु गैंग तक हथियार पहुंचाता था। इस प्रकार ये इंटरनेशनल रैकेट काम कर रहा था।
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