रांची: वट सावित्री पूजा पर सुहागिन महिलाएं पूजा करती नजर आईं। सुहागिन महिलाएं सज-धजकर सुबह-सुबह वट वृक्ष के नीचे पहुंचीं।
सबसे पहले वट वृक्ष को हल्दी का लेप लगाया। फिर कच्चे धागे को लपेटते हुए सात बार परिक्रमा की। और अपने पति के दीर्घायु होने की कामना की।
इसके बाद जल अर्पण किया। पूजा करने के बाद महिलाओं ने व्रत को खोला। खासकर नई-नवेली दुल्हनों को इस दिन का विशेष इंतजार रहता है।
वट वृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंची महिलाओं ने कहा कि वे मान्यताओं के अनुसार पति के लिए वट सावित्री की पूजा करती हैं, पूरे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
इस दौरान महिलाओं ने वट सावित्री व्रत कथा का कथा वाचन एवं श्रवण किया। इसके बाद अपने पति का आशीर्वाद लिया।
वट वृक्ष क्यों है खास…?
धर्म शास्त्रों के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान है, इस लिए आज दिन खास तौर पर उनकी पूजा की जाती है।
आज जेठ माह की पूर्णिमा अमावस्या को सुहागिन महिलाएं व्रत कर रही हैं।वट सावित्री पूजा का मतलब है कि यह अपने वर के लिए रखा जाता है।
पति की उम्र लंबी हो, उस आने वाली कोई मुसीबत हो तो भगवान उसकी रक्षा करें।
क्या है इसके मान्यता…?
वट सावित्री का महत्व सुहागिन महिलाओं से जुड़ा हुआ है। सुहागिन महिला पति के दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।
आज के ही दिन सत्यवान के प्राण की सावित्री ने यमराज से रक्षा की थी। सदियों से सत्यवान और सावित्री से यह व्रत जुड़ा हुआ है।
एक पति की लंबी उम्र, संकट की घड़ी में पत्नी अपने पति का कैसे साथ देती है, ऐसी कई मान्यता इस व्रत से जुड़ी हुई है।
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