Thursday, August 21, 2025

राजनीतिक दलों का घोषणा पत्रः वादे हैं वादों का क्या.. [Manifesto of political parties: What are the promises?]

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रांची। मन्नाडे का गाया हुआ एक गीत याद है आपको….कस्मे वादे प्या-वफा, सब वादे हैं, वादों का क्या…. ?

ये गीत काफी पुराना जरूर है, लेकिन इसकी पंक्तियां राजनीति के खेल में खूब इस्तेमाल होती हैं..वादे हैं, वादों का क्या….

झारखंड में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। चुनाव के दौरान एक बार फिर वादों की झ़ड़ियां सुनने को मिलेंगी।

जाहिर है, चुनाव हैं, तो लंबे-चौड़े वादे भी किये जायेंगे। चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल नये प्रलोभनकारी वादों की फेहरिस्त तैयार करने में जुट गये हैं।

पर उनके पिछले वादों का क्या हुआ, जो उन्होंने पिछले चुनाव के दौरान साढ़े चार साल पहले किये थे। बकायदा घोषणा पत्र के माध्यम से कई लाभकारी योजनाओं की सौगात जनता को देने की बात कही गई थी।

वादे तो इतने सारे किये गये थे। पर वे पूरे भी हुए या नहीं, यह न तो जनता को याद होगा और न ही वादा करनेवालों को। पर हम जनता को और उन नेताओं को भी उनके वादों की याद दिलायेंगे। उनसे पूछेंगे कि उन वादों का क्या हुआ। या घोषणा पत्र में दर्ज वादे सिर्फ वादे ही थे।

महिलाओं से किये वादों का क्या हुआ ?

राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार है। इन्होंने आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए क्या-क्या वादे किये थे।

बता दें कि हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की बीपीएल कैटेगरी में आने वाली महिलाओं से एक बड़ा वादा किया था। उनसे कहा गया था कि हमारी सरकार बनी, तो सभी को दो-दो हजार रुपये प्रतिमाह दिये जायेंगे।

घोषणा पत्र में किये वादे अब भी अधूरे..

पिछले विधानसभा चुनाव में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के इंडी गठबंधन को जीत मिली और अब सरकार के पांच साल पूरे होने वाले हैं। लेकिन इनके द्वारा किये गये वादों में से कई अब भी अधूरे हैं।

बीपीएल महिलाओं से किए गए दो हजार रुपये देने के वादे पर नजर डालते हैं, जिसका कुछ अता पता भी नहीं है।

झामुमो ने महिलाओं से किया था ये वादा

2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने घोषणा की थी कि अगर उनकी सरकार बनी, तो राज्य की बीपीएल कैटेगरी की हर महिला को हर महीने 2000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। चुनाव जीतने के बाद सरकार बनी, लेकिन ये वादा महज वादा ही रह गया।

चुनाव से पहले मंईयां सम्मान योजना

पांच साल गुजरने जा रहे हैं, लेकिन सरकार को इस वादे की याद नहीं आई। अब चुनाव से ठीक पहले सरकार “मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना” ले आई है।

इसके जरिए सिर्फ बीपीएल ही नहीं, बल्क सभी वर्गों की महिलाओं को कुछ आर्थिक लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है।

इस योजना के तहत, 21 से 50 साल तक की उम्र की सभी महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये दिये जा रहे हैं। लेकिन बीपीएल कैटेगरी की महिलाओं से किया गया वादा अधूरा ही रह गया।

कांग्रेस ने महिलाओं से किया ये वादा

यह सिर्फ एक योजना की बात नहीं है। 2019 के चुनाव में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने अपने-अपने घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए कई अन्य लाभकारी योजनाओं का भी वादा किया था।

कांग्रेस ने पुलिस बलों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने और सरकारी नौकरियों में 33% आरक्षण देने की बात कही थी। लेकिन साढ़े चार साल बाद भी ये योजनाएं केवल कागजों पर ही सीमित रह गई हैं।

इसी तरह, गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने की घोषणा भी अब तक लागू नहीं की गई है। जेएमएम के घोषणा पत्र में महिलाओं को सरकारी नौकरी में 50% आरक्षण देने की बात भी कही गई थी। लेकिन अब तक, झारखंड में महिलाओं के लिए नौकरी में कोई आरक्षण नहीं दिया गया है।

फिर शुरू हो गई तैयारी नये वादों की

झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है और राजनीतिक पार्टियां फिर से नए वादों का पुलंदा तैयार करने में जुट गई हैं। लेकिन क्या उन्हें पांच साल पहले किए गए वादों की याद भी है।

हर बार की तरह उन्हें इस बार भी यकीन है कि चुनाव मैदान में जनता उनसे इस बारे में कोई सवाल नहीं पूछने वाली।

यदि जनता सरकार को पुराने वादों की याद दिलाने लगे, तो शायद संभव है कि ये नेता वादे करने से पहले एक बार सोचेंगे जरूर।

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