दिनांक – 03 मार्च 2024
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2080
शक संवत -1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत ॠतु
मास – फाल्गुन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – सप्तमी सुबह 08:44 तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र – अनुराधा शाम 03:55 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग – हर्षण शाम 05:25 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल – शाम 05:16 से शाम 06:44 तक
सूर्योदय-06:08
सूर्यास्त- 05:42
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से सुबह 08:44) तक
विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे लोगो का संग भूलकर भी नही करे नही तो लक्ष्मी रूठ जाएंगी | गाय के गोबर का करे यह प्रयोग होगी सद्गति
सिर में जूँ एवं लीख
पहल प्रयोगः निबौली, सरसों कि तेल लगाने से अथवा अरीठे का फेन लगाने से जूँ और लीखें मर जाती हैं।
दूसरा प्रयोगः तुलसी के पत्ते पीसकर सिर पर लगा लें। तदुपरांत सिर पर कपड़ा बाँध लें। सारी जुएँ मरकर कपड़े से चिपक जाएँगी। दो-तीन बार लगाने से ही सारी जुएँ साफ हो जायेंगी।
लक्ष्मी की चाह रखने वाले किनसे बचें
भगवान श्रीहरि कहते हैं : “जो अशुद्ध ह्रदयवाला, क्रूर, हिंसक, दूसरों की निंदा करनेवाला होता है, उसके घर से भगवती लक्ष्मी चली जाती हैं |
जो नखों से निष्प्रयोजन तिनका तोड़ता है अथवा नखों से भूमि को कुरेदता रहता है उसके घर से मेरी प्रिय लक्ष्मी चली जाती हैं |
जो सूर्योदय के समय भोजन, दिन में शयन तथा दिन में मैथुन करता है उसके यहाँ से मेरी प्रिया लक्ष्मी चली जाती हैं |” (श्रीमद् देवी भागवत )
मृत्यु के समय
मरते समय भी गौ के गोबर का लेप करके मुर्दे को रखो ..उसकी सद्गति होगी |
मरते समय जो मर जा रहे हैं उनके मुँह में तुलसी के पत्ते रखो | गाय के गोबर के कंडे का धुआं करो तो उसके बैक्टीरिया दूसरे को नहीं सताएँगे |
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