New Year 2026 Shayari
बिछड़ने का गम और यादें
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे — अहमद फ़राज़
इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ
लो साथ छोड़ने लगा आख़िर ये साल भी — हफ़ीज़ मेरठी
और कम याद आओगी अगले बरस तुम
अब के कम याद आई हो पिछले बरस से — स्वप्निल तिवारी
इक साल गया इक साल नया है आने को
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को — इब्न-ए-इंशा
वक़्त फिर हम पे ख़ाक डाल गया
उम्र का एक और साल गया — शकील जमाली
एक बरस और बीत गया
कब तक ख़ाक उड़ानी है — विकास शर्मा राज़
एक लम्हा लौट कर आया नहीं
ये बरस भी राएगाँ रुख़्सत हुआ — इनाम नदीम
मुंहदिम होता चला जाता है दिल साल-ब-साल
ऐसा लगता है गिरह अब के बरस टूटती है — इफ़्तिख़ार आरिफ़
नए साल की उम्मीद और दुआएं
न कोई रंज का लम्हा किसी के पास आए
ख़ुदा करे कि नया साल सब को रास आए — फ़रियाद आज़र
नए साल में पिछली नफ़रत भुला दें
चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दें — अज्ञात
ख़ुदा करे कि ये दिन बार बार आता रहे
और अपने साथ ख़ुशी का ख़ज़ाना लाता रहे — अज्ञात
पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है — अली सरदार जाफ़री
गुज़िश्ता साल कोई मस्लहत रही होगी
गुज़िश्ता साल के सुख अब के साल दे मौला — लियाक़त अली आसिम
नया साल आया है ख़ुशियाँ मनाओ
नए आसमानों से आँखें मिलाओ — अज्ञात
मुबारक मुबारक नया साल आया
ख़ुशी का समाँ सारी दुनिया पे छाया — अख़्तर शीरानी
सितारों आसमाँ को जगमगा दो रौशनी से
दिसम्बर आज मिलने जा रहा है जनवरी से — भास्कर शुक्ला
ऐ जाते बरस तुझ को सौंपा ख़ुदा को
मुबारक मुबारक नया साल सब को — मोहम्मद असदुल्लाह
वक्त का फलसफा और हकीकत
देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है — मिर्ज़ा ग़ालिब
न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है
किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है — अहमद फ़राज़
तू नया है तो दिखा सुब्ह नई शाम नई
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई — फ़ैज़ लुधियानवी
किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाए
कैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है — ऐतबार साजिद
फिर नए साल की सरहद पे खड़े हैं हम लोग
राख हो जाएगा ये साल भी हैरत कैसी — अज़ीज़ नबील
जिस बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है
उस को दफ़नाओ मिरे हाथ की रेखाओं में — क़तील शिफ़ाई
एक पत्ता शजर-ए-उम्र से लो और गिरा
लोग कहते हैं मुबारक हो नया साल तुम्हें — अज्ञात
साल गुज़र जाता है सारा
और कैलन्डर रह जाता है — सरफ़राज़ ज़ाहिद
दोस्तों, जश्न और नई शुरुआत के लिए
दुल्हन बनी हुई हैं राहें
जश्न मनाओ साल-ए-नौ के — साहिर लुधियानवी
पिछ्ला बरस तो ख़ून रुला कर गुज़र गया
क्या गुल खिलाएगा ये नया साल दोस्तो — फ़ारूक़ इंजीनियर
अब के बार मिल के यूँ साल-ए-नौ मनाएँगे
रंजिशें भुला कर हम नफ़रतें मिटाएँगे — अज्ञात
चेहरे से झाड़ पिछले बरस की कुदूरतें
दीवार से पुराना कैलन्डर उतार दे — ज़फ़र इक़बाल
इक पल का क़ुर्ब एक बरस का फिर इंतिज़ार आई है जनवरी
तो दिसम्बर चला गया — रुख़्सार नाज़िमाबादी
इस गए साल बड़े ज़ुल्म हुए हैं मुझ पर
ऐ नए साल मसीहा की तरह मिल मुझ से — सरफ़राज़ नवाज़
पलट सी गई है ज़माने की काया
नया साल आया नया साल आया — अख़्तर शीरानी
करने को कुछ नहीं है नए साल में ‘यशब’
क्यों ना किसी से तर्क-ए-मोहब्बत ही कीजिए — यशब तमन्ना
साल-ए-नौ आता है तो महफ़ूज़ कर लेता हूँ मैं
कुछ पुराने से कैलन्डर ज़ेहन की दीवार पर — आज़ाद गुलाटी
इशरत-ए-हाल-ए-नौ मुबारक हो
आप को साल-ए-नौ मुबारक हो — जौन एलिया
नया साल दीवार पर टाँग दे
पुराने बरस का कैलेंडर गिरा — मोहम्मद अल्वी
कुछ ख़ुशियाँ कुछ आँसू दे कर टाल गया
जीवन का इक और सुनहरा साल गया — अज्ञात
यकुम जनवरी है नया साल है
दिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है — अमीर क़ज़लबाश
ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत
मुझ को तमन्ना रक़्स करती है तख़य्युल गुनगुनाता है — अली सरदार जाफ़री



