नयी दिल्ली : जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने कहा है कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक संगठनों की मौजूदगी के कारण विश्वविद्यालय में वामपंथ कमजोर पड़ा है और स्वतंत्र रूप से चुनाव जीतने में संघर्ष के चलते दूसरों से हाथ मिलाने को विवश हो गया है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्रा पंडित ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल से संबंध न रखने वाले छात्रों के “तटस्थ” निकाय ‘फ्री थिंकर्स ग्रुप’ के तहत वामपंथ से मुकाबला करती थीं।
पंडित ने एक साक्षात्कार में कहा कि हाल ही में हुए जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लगभग 1,500 वोट नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) के पक्ष में पड़ा, जो दर्शाता है कि छात्रों को न तो वामपंथ में रुचि है और न ही दक्षिणपंथ में।
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