Lakshya Sen:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जन्म प्रमाण पत्र में हेरफेर के आरोप में दर्ज FIR को सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि लक्ष्य सेन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही चलाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। वर्ष 2022 में बेंगलुरु के नागराजा एमजी नामक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि अर्जुन अवॉर्ड विजेता और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले लक्ष्य सेन ने जूनियर प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए उम्र से छेड़छाड़ की थी।
क्या है मामला ?
उनपर आरोप था कि उन्होंने वर्ष 1998 की जगह जन्म वर्ष 2001 दर्शाया, ताकि आयु-प्रतिबंधित टूर्नामेंटों में खेल सकें और सरकारी लाभ ले सकें। इस मामले में लक्ष्य के साथ उनके कोच विमल कुमार, पिता धीरेंद्र सेन, मां निर्मला और भाई चिराग सेन के खिलाफ भी IPC की धारा 420, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था। कोच विमल कुमार ने इन आरोपों को झूठा और बदनाम करने की साजिश बताया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने पहले इन आरोपों की जांच का आदेश दिया था, जिसे चुनौती देते हुए लक्ष्य सेन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
FIR को पूरी तरह से खारिज कर दिया
फरवरी 2025 में शीर्ष अदालत ने कार्रवाई पर रोक लगाई थी और अब इस मामले में FIR को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह पूरा मामला व्यक्तिगत दुश्मनी से प्रेरित दिखता है और इसमें किसी भी तरह का आपराधिक इरादा प्रमाणित नहीं होता। इस फैसले से लक्ष्य सेन के करियर और प्रतिष्ठा को बड़ी राहत मिली है।
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